Milad-un-Nabi Bara-Wafat: PM नरेंद्र मोदी ने 5 सितंबर 2025 को मिलाद-उन-नबी (बारावफात) के शुभ अवसर पर देशवासियों, विशेष रूप से मुस्लिम समुदाय को बधाई दी। उन्होंने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर अपने संदेश में लिखा, “यह पवित्र दिन हमारे समाज में शांति और खुशहाली लाए। करुणा, सेवा और न्याय के मूल्य सदैव हमारा मार्गदर्शन करें। ईद मुबारक।” उनका यह संदेश देश में आपसी भाईचारे और धार्मिक सौहार्द का प्रतीक है।
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मिलाद-उन-नबी का महत्व

मिलाद-उन-नबी या ईद ए मीलाद-उन-नबी इस्लाम धर्म के पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस्लामी कैलेंडर के तीसरे महीने, रबी-अल-अव्वल में यह पर्व आता है। सुन्नी मुस्लिम इसे 12 रबी-अल-अव्वल को मनाते हैं, जबकि शिया मुस्लिम 17 रबी-अल-अव्वल को पैगंबर का जन्मदिन मानते हैं। इस दिन को “मौलिद” भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है “जन्म देना”।
पैगंबर मोहम्मद का जीवन और संदेश
पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब का जन्म 570 ईस्वी के आसपास मक्का में हुआ था। छह वर्ष की आयु में वे अनाथ हो गए और उनके पालन-पोषण की जिम्मेदारी उनके दादा और बाद में चाचा ने संभाली। 40 वर्ष की उम्र में उन्हें मक्का की हीरा गुफा में फरिश्ता जिब्रील अलैहिस्सलाम से पहला दिव्य संदेश प्राप्त हुआ। यही संदेश आगे चलकर पवित्र कुरान का हिस्सा बना।
पैगंबर मोहम्मद ने अपना पूरा जीवन मानवता, सत्य, ईमानदारी, करुणा, भाईचारे और एकेश्वरवाद का संदेश देने में समर्पित किया। उन्हें “रहमतुल-लिल-आलमीन” यानी समस्त संसार के लिए रहमत (कृपा) कहा जाता है।
भारत और दुनिया में मनाया जाने वाला त्योहार
भारत, श्रीलंका, मलेशिया जैसे देशों में मिलाद-उन-नबी के अवसर पर जुलूस निकाले जाते हैं, धार्मिक सभाएं आयोजित होती हैं और मिठाइयां बांटी जाती हैं। इस दिन लोग पैगंबर की शिक्षाओं को याद करते हैं और उनके जीवन से प्रेरणा लेते हैं। हालांकि, सऊदी अरब और कतर जैसे देशों में यह पर्व नहीं मनाया जाता क्योंकि वहां वहाबी और सलाफी विचारधारा प्रचलित है, जो जन्मदिन जैसे आयोजनों को मान्यता नहीं देती।
क्या है बारावफात?
बारावफात, जिसे ईद ए मीलाद या मीलादुन्नबी भी कहा जाता है, सिर्फ पैगंबर के जन्म का उत्सव नहीं है, बल्कि यह उनके इंतकाल (विसाल) का भी दिन है। ‘बारा’ का अर्थ होता है बारह और ‘वफात’ का मतलब है निधन। कहा जाता है कि हजरत मोहम्मद साहब अपने अंतिम दिनों में बारह दिनों तक बीमार रहे और फिर इसी दिन उनका इंतकाल हुआ। इसलिए इस दिन को ‘बारावफात’ कहा जाता है।
बारावफात का संदेश
बारावफात का मूल उद्देश्य केवल उत्सव नहीं, बल्कि पैगंबर मोहम्मद साहब की सादगीपूर्ण जीवनशैली, मानवता के प्रति प्रेम, एकेश्वरवाद, समानता और करुणा जैसे आदर्शों को अपनाना है। यह पर्व हमें आपसी भाईचारे, सहिष्णुता और नैतिक मूल्यों की याद दिलाता है।

