मंत्री कपिल देव अग्रवाल ने अपने शरीर के अंगों का किया दान

Laxmi Mishra

लखनऊ: प्रदेश के व्यावसायिक शिक्षा, कौशल विकास एवं उद्यमशीलता राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कपिल देव अग्रवाल ने “आयुष्मान भवः कार्यक्रम” के शुभारंभ के अवसर पर भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की प्रेरणा से अपने शरीर के सभी आवश्यक अंगों के दान देने की शपथ ली। उन्होंने बुधवार को मुजफ्फरनगर के जिला चिकित्सालय में अपने शरीर के अंगों को दान करने की सहमति देते हुए प्रमाण पत्र हासिल किया।

आपको बता दें कि कपिल देव अग्रवाल एक राजनेता और उत्तर प्रदेश की 17वीं विधान सभा के सदस्य हैं। ये उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के मुजफ्फरनगर सदर विधान सभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं।

आयुष्मान भवः कार्यक्रम

आपको बता दें कि ‘आयुष्मान भव:’ एक राष्ट्रव्यापी पहल है, जिसका मकसद देश के हर गांव और कस्बे तक स्वास्थ्य सेवाओं की व्यापक पहुंच प्रदान करना है। यह पहल ‘आयुष्मान भारत’ कार्यक्रम की सफलता के मद्देनजर शुरू की गई है। इस अभियान को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन यानी 17 सितंबर से लागू किया जाएगा। वहीं इस अभियान के तहत आगामी 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक आयुष्मान योजना से जुड़े सभी स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों पर आयुष्मान मेले लगेंगे।

जानें किन अंगों का होता हैं दान

आपको बता दें कि अंगदान में शरीर के कुछ अंगों और ऊतकों को दान किया जा सकता है। अंगों में यकृत, गुर्दे, अग्नाशय, हृदय,फेफड़े और आंत जैसे अंगों का दान किया जाता है। जबकि ऊतकों में कॉर्निया (आंख का भाग), हड्डी, त्वचा, हृदय वाल्व, रक्त वाहिकाएं, नस, कण्डरा और कुछ अन्य ऊतकों को भी दान किया जाता है।

अंगदान के जरिए आप किसी व्यक्ति को नई जिंदगी दे सकते हैं। अंगदान करने वाले व्‍यक्ति को ‘ऑर्गन डोनर’ कहा जाता है, जबकि अंग पाने वाले व्‍यक्ति को ‘रेसिपिएंट’ कहा जाता है। ज्यादातर केस में अंगदान रेसिपिएंट की जान बचाने के लिए जरूरी होता है, क्‍योंकि उसके अंग बीमारी या चोट के कारण खराब या डैमेज हो चुके होते हैं। जानते हैं अंगदान से जुड़ी कुछ जरूरी बातें।

जानें अंगदान की उम्र की सीमा

अंगदान करने के लिए उम्र के साथ-साथ शरीर का भी स्वस्थ होना बहुत ही जरूरी होता है। साथ ही ये भी ध्यान दिया जाता हैं कि अंगदान जीवित रहते हुए किया जा रहा है या मरने के बाद किया जा रहा हैं। 18 साल का कोई भी स्वस्थ व्यक्ति अंगदान करने योग्य है। लेकिन शरीर के अलग-अलग अंगों के लिए उम्र सीमा भी अलग-अलग होती है, जो डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही दान किए जा सकते हैं।

जानें कितनी तरह का होता है अंगदान

आपको बता दें कि अंगदान दो तरह से होता है। पहला जीवित रहते हुए और दूसरा मृत्यु के बाद। अंगदान के लिए पूरी वसीयत लिखी जाती है कि मृत्यु के बाद व्यक्ति के कौन-कौन से हिस्सों को दान किया जा सकता है। कुछ अंगों को इंसान अपनी इच्छानुसार जीवित रहते हुए दान कर सकते हैं, जिसमें से एक है गुर्दा। आंख, किडनी, लीवर, फेफड़ा, हार्ट, पैंक्रियाज और आंत का दान मृत्यु के बाद किया जाता है।

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