Mithun Chakraborty speech:मिथुन ने कार्यकर्ताओं में फूंका जोश, संगठन की खामियों और गुटबाजी पर भी किया वार

Chandan Das

Mithun Chakraborty speech:पश्चिम बंगाल में 2026 विधानसभा चुनावों की तैयारियों के बीच भाजपा के स्टार प्रचारक मिथुन चक्रवर्ती ने दुर्गापुर की रैली में बड़ा बयान देते हुए कहा, “यह आखिरी लड़ाई है।” शनिवार को नेहरू स्टेडियम में हजारों कार्यकर्ताओं की मौजूदगी में मिथुन ने जोरदार भाषण देकर चुनावी शंखनाद किया। उन्होंने अपने भाषण में कार्यकर्ताओं को इस लड़ाई को जीवन-मरण का संघर्ष मानते हुए मैदान में उतरने की अपील की।

“राजनीति नहीं, मानव नीति करता हूं”

मिथुन चक्रवर्ती ने मंच से कहा, “हम यह लड़ाई आखिरी समझकर लड़ेंगे। यह जीवन-मरण की लड़ाई है। भ्रष्टाचार चरम पर है। माताओं और बहनों का सम्मान खतरे में है। मैं राजनीति नहीं, मानव नीति करता हूं। बंगाल की हर मां-बहन मेरी अपनी है। मैं बंगाल का बेटा हूं और बंगाल के लिए ही लड़ूंगा।” उनके इस भावुक अपील पर सभा में मौजूद लोगों ने तालियों से समर्थन जताया।

“23 से मैदान में रहूंगा, भाजपा हारी नहीं है”

मिथुन ने कहा इस बार मैं पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतर रहा हूं।” मैदान में लड़ने का संदेश देते हुए भाजपा के स्टार नेता ने आगे कहा, “मैं 23 और 24 तारीख से मैदान में उतरूंगा। मैं आपके साथ रहूंगा, मैं बात करूंगा। मैं मैदान से लड़ूंगा। यह लड़ाई सबको याद रहेगी। भाजपा हारी नहीं है।”उन्होंने स्पष्ट किया कि भाजपा कार्यकर्ताओं को निराश नहीं होना चाहिए, बल्कि पहले से ज्यादा मजबूती से एकजुट होकर चुनावी मैदान में उतरना होगा।

पुलिस को दिया तटस्थता का संदेश

अपने भाषण में मिथुन ने राज्य पुलिस को भी खास संदेश दिया। उन्होंने कहा  -“मैं पुलिस से कहूंगा कि तटस्थ हो जाओ। फिर देखना भाजपा क्या कर सकती है।” इस पर भीड़ ने जोरदार तालियां बजाईं। उन्होंने कहा कि भाजपा कमजोर नहीं है लेकिन कानून का सम्मान करती है। मिथुन ने चेतावनी भरे लहजे में कहा “अगर गोली मारनी है तो सामने से मारो, पीछे से नहीं। मैं सीना तानकर खड़ा रहूंगा।”

संदेह के घेरे में संगठन

24वें लोकसभा चुनाव में मिथुन चक्रवर्ती ने जमकर प्रचार किया था लेकिन भाजपा को अपेक्षित सफलता नहीं मिली। राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा जोरों पर है कि संगठन की आंतरिक खामियां और गुटबाजी इसके पीछे प्रमुख कारण हैं। सूत्रों के मुताबिक इस बार भी संगठन में कोई बड़ा सुधार नहीं दिख रहा। संभवतः मिथुन की ‘आखिरी लड़ाई’ वाली टिप्पणी भी भाजपा की इसी ‘आंतरिक कमजोरी’ की ओर संकेत थी।

‘महागुरु’ की हुंकार से बढ़ी हलचल

मिथुन चक्रवर्ती, जिन्हें उनके प्रशंसक ‘महागुरु’ कहते हैं, की इस हुंकार ने राज्य की सियासत में हलचल बढ़ा दी है। उन्होंने कार्यकर्ताओं को न केवल जोश से भरने का काम किया, बल्कि संगठन और प्रशासन दोनों को कड़ा संदेश भी दिया। अब यह देखना होगा कि भाजपा इस आव्हान को संगठनात्मक सुधार में कैसे तब्दील करती है।

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