Monika Kapoor News: सीबीआई को 26 साल पुराने करोड़ों के आर्थिक घोटाले में बड़ी सफलता हाथ लगी है। आर्थिक अपराध की आरोपी मोनिका कपूर को अमेरिका में हिरासत में लिया गया है और उसे भारत लाने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। सीबीआई की टीम बुधवार रात तक उसे भारत लेकर पहुंच सकती है। मोनिका कपूर 1999 से फरार चल रही थी और उस पर भारी पैमाने पर सरकारी नुकसान पहुंचाने का आरोप है।
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अमेरिकी अदालत से प्रत्यर्पण को मिली मंजूरी
आपको बता दे कि, इस बहुचर्चित मामले में अमेरिकी अदालत ने सीबीआई के पक्ष में फैसला सुनाते हुए मोनिका कपूर के प्रत्यर्पण को हरी झंडी दे दी है। भारत सरकार द्वारा किए गए कानूनी प्रयासों के बाद अब उसे भारत लाया जा रहा है, जहां उसे भारतीय कानून के तहत आगे की कार्रवाई का सामना करना होगा।
16 फर्जी लाइसेंस से करोड़ों की हेराफेरी
मोनिका कपूर पर आरोप है कि उसने अपने भाइयों—राजन और राजीव खन्ना के साथ मिलकर फर्जी एक्सपोर्ट दस्तावेज तैयार किए। इन दस्तावेजों की मदद से भारत सरकार से 16 रिप्लेनिशमेंट लाइसेंस हासिल किए गए, जिनमें से 14 लाइसेंस एक अन्य कंपनी को बेच दिए गए। इस कंपनी ने उन लाइसेंस का उपयोग कर सोना आयात किया, जिससे सरकार को कस्टम ड्यूटी में भारी नुकसान हुआ।
सरकार को हुआ करीब 5.5 करोड़ का नुकसान
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि, इस घोटाले की वजह से भारत सरकार को करीब 6.8 लाख अमेरिकी डॉलर यानी लगभग 5.5 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। यह एक सुनियोजित आर्थिक अपराध था, जो पूरी तरह से जालसाजी और धोखाधड़ी पर आधारित था।
1999 में शुरू हुई थी जांच, 2002 में CBI को सौंपा गया मामला
इस मामले की शुरुआती जांच 1999 में डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (DRI) ने शुरू की थी। सितंबर 1999 में मोनिका कपूर से पूछताछ की गई, लेकिन आगे की कार्रवाई में वो सहयोग नहीं कर रही थी। 2002 में यह केस सीबीआई को सौंप दिया गया, और 2003 में दिल्ली की मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट ने उसके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया।
प्रोक्लेम्ड ऑफेंडर घोषित होने के बाद जारी हुआ रेड कॉर्नर नोटिस
मोनिका कपूर को कई बार नोटिस भेजने के बावजूद वह जांच में शामिल नहीं हुई। इसके बाद 2006 में कोर्ट ने उसे ‘प्रोक्लेम्ड ऑफेंडर’ घोषित कर दिया। भारत सरकार ने इंटरपोल से भी मदद ली और 2003 में उसके नाम रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया। लंबे समय तक फरार रहने के बाद अब उसे अमेरिका से भारत लाया जा रहा है। सीबीआई की यह कार्रवाई भारत में आर्थिक अपराधियों के खिलाफ एक कड़ा संदेश है। मोनिका कपूर का प्रत्यर्पण यह दर्शाता है कि कानून से कोई बच नहीं सकता, चाहे वह दुनिया के किसी भी कोने में क्यों न हो। 26 साल पुराने इस केस में अब न्यायिक प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा, जिससे भविष्य में इस तरह के घोटालों पर लगाम लग सके।