Monsoon 2025: भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने हाल ही में एक अहम घोषणा की है, जिसके अनुसार इस साल दक्षिण-पश्चिम मानसून तय समय से करीब चार दिन पहले, यानी 27 मई को केरल के तट पर दस्तक दे सकता है। सामान्यत: मानसून 1 जून को आता है, लेकिन अगर यह भविष्यवाणी सही साबित होती है, तो यह 2009 के बाद पहला मौका होगा जब मानसून इतनी जल्दी भारत पहुंचेगा। 2009 में मानसून 23 मई को केरल पहुंचा था, जबकि पिछले साल 2024 में यह 30 मई को आया था।
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अंडमान और निकोबार में मानसून की बारिश
मौसम विभाग के अनुसार, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में मानसून की बारिश 13 मई तक शुरू होने की संभावना है। यह संकेत है कि इस बार मानसून का रुख सकारात्मक है और यह पूरे देश में समय से पहले या समय पर पहुंच सकता है। इसका सीधा असर खेती, ग्रामीण अर्थव्यवस्था और महंगाई की दर पर देखने को मिल सकता है।
मानसून का गहरा संबंध अर्थव्यवस्था से
भारत में मानसून का महत्व केवल मौसम तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका गहरा संबंध देश की अर्थव्यवस्था से भी है। भारत में सालभर की कुल बारिश का लगभग 70% हिस्सा मानसून के दौरान होता है। देश के 70% से 80% किसान फसलों की सिंचाई के लिए बारिश पर निर्भर रहते हैं। ऐसे में यदि मानसून अच्छा रहता है, तो खरीफ फसलों की बुवाई समय पर और बेहतर ढंग से हो सकती है, जिससे उत्पादन बढ़ेगा।
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किसानों की आमदनी में इजाफा
कृषि उत्पादन बढ़ने से न केवल किसानों की आमदनी में इजाफा होता है, बल्कि फसलें सस्ती रहती हैं और महंगाई पर भी नियंत्रण रहता है। इसके विपरीत, अगर मानसून कमजोर रहता है, तो पैदावार घट सकती है, जिससे आवश्यक वस्तुओं की कीमतें बढ़ सकती हैं और आम जनता को महंगाई की मार झेलनी पड़ सकती है।
भारत की अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र की हिस्सेदारी लगभग 20% है, और यह देश की लगभग आधी आबादी को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से रोजगार देता है। अच्छी बारिश न केवल किसानों की आमदनी बढ़ाती है, बल्कि फेस्टिव सीजन से पहले ग्रामीण क्षेत्रों में मांग बढ़ाकर आर्थिक गतिविधियों को गति देती है। इससे ग्रामीण उपभोग बढ़ता है और कुल मिलाकर अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है।
