Monsoon 2025:भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम मानसून ने दक्षिण बंगाल की खाड़ी, दक्षिण अंडमान सागर, निकोबार द्वीप और उत्तर अंडमान सागर के कुछ हिस्सों में दस्तक दे दी है। पिछले दो दिनों से निकोबार द्वीपसमूह में मध्यम से भारी बारिश दर्ज की गई है।
मौसम विभाग ने बताया कि क्षेत्र में पछुआ हवाओं की ताकत और गहराई में वृद्धि देखी गई है, जिनकी गति समुद्र तल से 1.5 किमी ऊपर 20 नॉट्स से अधिक है और यह हवाएं 4.5 किमी तक फैली हुई हैं। साथ ही, ओलआर (Outgoing Longwave Radiation) में कमी देखी गई है, जो बादलों की अधिकता का संकेत है और मानसून की शुरुआत की शर्तों को पूरा करता है।
तीन से चार दिनों में मानसून की स्थिति
मौसम विभाग के अनुसार, आने वाले तीन से चार दिनों में मानसून के दक्षिण अरब सागर, मालदीव और कोमोरिन क्षेत्र, दक्षिण बंगाल की खाड़ी, अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह के शेष हिस्सों और मध्य बंगाल की खाड़ी के कुछ क्षेत्रों में और आगे बढ़ने के अनुकूल स्थितियां बनी हुई हैं। यदि मानसून समय से पहले केरल पहुंचता है, तो यह भारतीय मुख्यभूमि पर 2009 के बाद सबसे जल्दी मानसून आगमन होगा। 2009 में मानसून 23 मई को केरल पहुंचा था।
केरल में मानसून की दस्तक
दक्षिण-पश्चिम मानसून आमतौर पर 1 जून को केरल में दस्तक देता है और 8 जुलाई तक पूरे देश में फैल जाता है। इसकी वापसी 17 सितंबर से शुरू होती है और 15 अक्टूबर तक पूरी हो जाती है। इस वर्ष अप्रैल में मौसम विभाग ने सामान्य से अधिक वर्षा की संभावना जताई थी और एल नीनो की आशंका को खारिज किया था, जो आमतौर पर भारत में कम वर्षा से जुड़ा होता है।
मौसम विभाग का पूर्वानुमान
भारत के लिए मानसून बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यह कृषि क्षेत्र की जीवनरेखा है, जो देश की लगभग 42 प्रतिशत आबादी की आजीविका का साधन है और सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग 18 प्रतिशत का योगदान देता है। मानसून के दौरान होने वाली बारिश न केवल कृषि के लिए आवश्यक होती है, बल्कि देशभर में जलाशयों को भरने, पेयजल की आपूर्ति और बिजली उत्पादन के लिए भी अत्यंत आवश्यक है।अगर मौसम विभाग का पूर्वानुमान सही साबित होता है, तो मानसून इस बार 27 मई तक केरल पहुंच सकता है, जो कि सामान्य 1 जून की तिथि से कई दिन पहले होगा। इससे कृषि गतिविधियों की शुरुआत समय पर हो सकेगी और देश की अर्थव्यवस्था को भी लाभ होगा।
