UP Rains: गोरखपुर सहित उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में मानसून की आहट सुनाई देने लगी है। जून की शुरुआत के साथ ही मानसून को लेकर लोगों में उत्सुकता बढ़ गई है। मौसम विभाग के अनुसार, इस समय प्रदेश के पश्चिमी इलाकों और पूर्वी बिहार के ऊपरी वायुमंडल में लगभग 5000 फीट की ऊंचाई पर चक्रवाती हवा का एक क्षेत्र सक्रिय है। इसके प्रभाव से गोरखपुर में हल्की वर्षा के आसार बने हुए हैं।मौसम विशेषज्ञों का मानना है कि यह वर्षा मानसून के आगमन से पहले की आखिरी वर्षा हो सकती है। इसके बाद लोगों को मानसून की औपचारिक शुरुआत के लिए कुछ दिन और इंतजार करना होगा।
10 से 12 जून के बीच मानसून की दस्तक की संभावना
मौसम विज्ञानी कैलाश पांडेय के अनुसार, इस वर्ष मानसून की रफ्तार सामान्य बनी हुई है और यह उड़ीसा के पुरी तक पहुंच चुका है। पूर्वानुमान है कि 10 से 12 जून के बीच यह गोरखपुर और आसपास के क्षेत्रों में प्रवेश कर सकता है। यदि लगातार तीन दिनों तक प्रतिदिन 2.5 मिलीमीटर या उससे अधिक वर्षा दर्ज होती है, तो इसे मौसम विभाग की परिभाषा के अनुसार मानसूनी वर्षा माना जाएगा।गोरखपुरवासियों के लिए यह एक अच्छी खबर है, क्योंकि इस बार मानसून के सामान्य से अधिक सक्रिय रहने का अनुमान है। इसका मतलब है कि शहर और आसपास के क्षेत्रों में औसत से अधिक वर्षा हो सकती है, जिससे न केवल खेती को लाभ मिलेगा बल्कि लोगों को भीषण गर्मी से राहत भी मिलेगी।
तापमान में गिरावट से लोगों को मिलेगी राहत
बीते कुछ दिनों से अधिकतम तापमान में लगातार बढ़ोतरी हो रही थी, जिससे लोगों को गर्मी का तीव्र अनुभव हो रहा था। लेकिन अब जैसे-जैसे मानसून करीब आ रहा है, तापमान में धीरे-धीरे गिरावट देखने को मिल रही है। बारिश के कारण वातावरण में नमी बढ़ रही है और हवाएं भी अपेक्षाकृत ठंडी हो गई हैं।गोरखपुर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल रामगढ़ ताल में भी इन दिनों पर्यटकों की भीड़ देखी जा रही है। मौसम सुहावना होने से लोग खुलकर इसका आनंद ले रहे हैं। संगम दूबे की रिपोर्ट के अनुसार, मानसून की दस्तक से पहले का यह मौसम पर्यटन के लिहाज से भी अनुकूल माना जा रहा है।
बारिश से खेती और जनजीवन को मिलेगा लाभ
गोरखपुर और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में किसान मानसून की पहली वर्षा का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। खेती की शुरुआत मानसूनी वर्षा के आधार पर होती है, ऐसे में समय पर मानसून आना अत्यंत आवश्यक है। औसत से अधिक वर्षा का अनुमान न केवल फसलों के लिए लाभकारी होगा बल्कि जल स्तर बढ़ने से जल संकट की समस्या भी काफी हद तक हल हो सकेगी।