Monsoon: सावन महीने में मानसून पूरे देश में जमकर बरस रहा है। IMD ने आज के लिए कई राज्यों में भारी से बहुत भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। इसमें राजस्थान, दिल्ली-एनसीआर, उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर शामिल हैं, जहां आंधी-तूफान के साथ तेज बारिश की संभावना जताई गई है। दिल्ली में भी अगले हफ्ते भर बादल छाए रहने और हल्की से मध्यम बारिश की संभावना है।
बाढ़ और भूस्खलन से बढ़ी चिंता

Monsoon की वजह से देश के कई हिस्सों में बाढ़ जैसी स्थिति बन गई है। हिमाचल प्रदेश सबसे अधिक प्रभावित राज्य है, जहां अब तक 105 लोगों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा उत्तराखंड, असम, मिजोरम, सिक्किम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय और कर्नाटक के कुछ हिस्सों में भी बाढ़ का कहर जारी है।
यूपी और बिहार में आकाशीय बिजली गिरने का खतरा बना हुआ है, जबकि हिमाचल, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में भूस्खलन और बादल फटने जैसी घटनाएं चिंता का विषय बनी हुई हैं। महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, झारखंड और गोवा में नदियां उफान पर हैं और अगले 24 घंटे इन क्षेत्रों के लिए भी संवेदनशील बताए गए हैं।
कहीं भारी बारिश तो कहीं सामान्य से कम वर्षा
IMD के आंकड़ों के अनुसार 1 जून से 16 जुलाई तक देश में 331.9 मिमी वर्षा हुई, जो सामान्य 304.2 मिमी से लगभग 9% अधिक है। मगर यह औसत क्षेत्रीय असमानता को छुपाता है।
झारखंड में 595.8 मिमी बारिश दर्ज हुई, जो सामान्य से 71% अधिक है।
Rajasthan में 271.9 मिमी बारिश हुई, जो सामान्य से 116% अधिक है।
लद्दाख में सामान्य 8 मिमी की तुलना में 15.8 मिमी वर्षा हुई, यानी 97% अधिक।
ये तीनों क्षेत्र ‘विशाल अधिकता’ वाले राज्यों की श्रेणी में आते हैं।
खेती-बाड़ी के लिए वरदान बना मानसून
इस बार का मानसून खेती के लिए बेहद फायदेमंद माना जा रहा है। मौसम विभाग ने पहले ही संकेत दिया था कि जून से सितंबर के दौरान भारत को दीर्घकालिक औसत का 106% वर्षा प्राप्त हो सकती है। लेकिन, पंजाब, हरियाणा, केरल और तमिलनाडु के कुछ हिस्सों में बारिश सामान्य से कम हो सकती है।
भारत की 42% आबादी कृषि पर निर्भर है और जीडीपी में 18.2% का योगदान देती है। ऐसे में मानसून पीने के पानी और बिजली उत्पादन के लिए जलाशयों को पुनर्भरित करने में भी अहम भूमिका निभाता है।

