Parliament Monsoon Session:संसद का मानसून सत्र सोमवार से शुरू हो गया है, और एक बार फिर से इसके हंगामेदार रहने के आसार नजर आ रहे हैं। विपक्षी गठबंधन INDIA ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वह सरकार को कई संवेदनशील और विवादित मुद्दों पर घेरने की तैयारी में है। इन मुद्दों में मणिपुर की स्थिति, हाल ही में सामने आए ऑपरेशन सिंदूर, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कथित बयान, और बिहार में मतदाता सूची का सघन पुनरीक्षण शामिल हैं।
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सर्वदलीय बैठक में हुआ एजेंडे का खुलासा
सत्र शुरू होने से पहले रविवार को सर्वदलीय बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें विपक्ष की ओर से खासतौर पर कांग्रेस ने सरकार पर तीखा हमला बोला। विपक्ष ने यह साफ कर दिया कि वे इन गंभीर मुद्दों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सीधे जवाब चाहते हैं, न कि सिर्फ मंत्रियों के स्पष्टीकरण से संतुष्ट होंगे।
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ऑपरेशन सिंदूर पर सरकार से जवाब की मांग
विपक्ष ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है। इस ऑपरेशन को लेकर जो सूचनाएं सामने आई हैं, उस पर संसद में विस्तार से चर्चा की मांग की गई है। माना जा रहा है कि यह मुद्दा पूरे सत्र में विपक्ष की रणनीति का मुख्य हिस्सा रहेगा।
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के बयान पर विवाद
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक हालिया बयान को लेकर भी विपक्ष ने मोर्चा खोल दिया है। विपक्ष का कहना है कि यदि कोई विदेशी नेता भारत की आंतरिक राजनीति में टिप्पणी करता है, तो सरकार को उसका ठोस जवाब देना चाहिए और संसद को इस बारे में जानकारी दी जानी चाहिए।
बिहार मतदाता सूची का मुद्दा भी गरम
बिहार में मतदाता सूची के सघन पुनरीक्षण को लेकर विपक्ष ने गड़बड़ी और राजनीतिक लाभ के लिए हेराफेरी के आरोप लगाए हैं। विपक्ष इस मुद्दे को भी संसद में उठाने जा रहा है और इसमें भी प्रधानमंत्री की स्पष्ट भूमिका और बयान की मांग की जा रही है।
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सरकार ने जताई चर्चा की तत्परता
इस बीच संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने साफ किया कि सरकार संसद में हर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है, लेकिन संसदीय नियमों और परंपराओं के अंतर्गत ही। उन्होंने विपक्ष से सहयोग की अपील करते हुए कहा कि लोकतंत्र में संवाद ही समाधान का रास्ता है।
आठ नए विधेयक होंगे पेश
सरकार इस सत्र में आठ नए विधेयक पेश करने की तैयारी में है। इनमें कुछ विधेयक पहले से लंबित हैं, जबकि कुछ नए कानूनों का प्रस्ताव भी शामिल है। हालांकि, विपक्षी तेवरों को देखते हुए इन विधेयकों पर सुचारु चर्चा हो पाएगी या नहीं, यह कहना मुश्किल है।

