Monsoon Session 2025: लोकसभा में सोमवार को प्रश्नकाल के दौरान विपक्षी सांसदों ने ‘SIR वापस लो’ के नारे लगाकर सदन की कार्यवाही बाधित कर दी. जैसे ही बैठक शुरू हुई और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने प्रश्नकाल प्रारंभ कराया, विपक्षी सदस्य लगातार नारेबाजी करने लगे, जिससे सदन का काम प्रभावित हुआ.
ओम बिरला ने विपक्ष पर साधा निशाना
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इस व्यवधान पर तीखा प्रहार किया. उन्होंने कहा, ‘क्या आप लोग सदन को बाधित करना चाहते हैं? क्या आप ऑपरेशन सिंदूर जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा नहीं कराना चाहते?’ उन्होंने विपक्षी सांसदों से सवाल किया कि वे क्या जनता की आवाज को दबाना चाहते हैं या लोकतंत्र को कमजोर करना चाहते हैं.
राहुल गांधी को विशेष रूप से किया फोकस
बताते चले कि, ओम बिरला ने विपक्ष के नेता राहुल गांधी से कहा कि वे अपने दल के सदस्यों को समझाएं कि सदन में पर्चियां फेंकना और तख्तियां लाना सही नहीं है. उन्होंने जोर देकर कहा कि सांसदों को संसद की गरिमा का सम्मान करना चाहिए और वे जनता की सेवा के लिए आए हैं, न कि सदन को बाधित करने के लिए.
संसद की गरिमा पर सवाल उठाते हुए जताया असंतोष
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि नारेबाजी कर सदन को बाधित करना नियोजित तरीके से लोकतांत्रिक प्रक्रिया को नुकसान पहुंचाता है. उन्होंने कहा, ‘यह सदन देश के 140 करोड़ लोगों की सर्वोच्च अभिव्यक्ति की जगह है. सदन में सभी को बोलने का मौका मिलना चाहिए। लेकिन आप लोग सवालों के जवाब नहीं चाहते और चर्चा को रोकना चाहते हैं।’
बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण पर विपक्षी दलों का विरोध जारी
विपक्षी दलों का विरोध विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के मुद्दे पर था, जो बिहार में चल रहा है। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने लोकसभा में इस मुद्दे को लेकर लगातार नारेबाजी की। इस दौरान प्रश्नकाल बार-बार बाधित होता रहा और सांसद अपनी मांगों को लेकर जोरदार प्रदर्शन करते रहे।
लोकतंत्र के सिद्धांतों के प्रति लोकसभा अध्यक्ष की अपील
ओम बिरला ने सांसदों से लोकतंत्र के मूल्यों का सम्मान करने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में बहस और संवाद जरूरी है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि सदन को तोड़ा जाए या किसी भी तरह से अवरोध उत्पन्न किया जाए. उन्होंने सभी सांसदों से संयम बरतने और सदन की गरिमा बनाए रखने को कहा.
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला का विपक्षी सांसदों पर प्रहार और राहुल गांधी से की गई अपील संसद के चल रहे गतिरोध को लेकर चिंता जाहिर करती है। प्रश्नकाल में बाधा डालने वाली घटनाएं लोकतांत्रिक प्रक्रिया की समीक्षा और सुधार की आवश्यकता पर भी सवाल उठाती हैं।
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