Muharram 2025: अंग्रेजी कैलेंडर की तरह ही इस्लामिक कैलेंडर भी पूरे 12 महीनों का होता है और इसका पहला महीना मुहर्रम है। मुहर्रम के शुरुआती 10 दिन बेहद ही खास होते हैं। मुहर्रम की दसवीं तारीख को मुस्लिम धर्म के लोग हजरत इमाम हुसैन को याद कर मातम मनाते हैं और जुलूस व ताजिया भी निकालते हैं साथ ही कर्बला की शहादत को भी याद करते हैं। जिसे यौम-ए-आशूरा के नाम से जाना जाता है। तो हम आपको अपने इस लेख द्वारा मुहर्रम से जुड़ी अहम जानकारी प्रदान कर रहे हैं, तो आइए जानते हैं।
मुहर्रम का महीना क्यों है जितना खास?

इस्लाम धर्म के अनुसार लगभग 1400 साल पहले हजरत इमाम हुसैन को बादशाह यजीद ने कर्बला के मैदान में कैद कर लिया था। माना जाता है कि मुहर्रम के शुरुआती 9 दिनों तक इमाम हुसैन अपने परिवार और साथियों के साथ मिलकर खुदा की इबादत करते रहें। दसवें दिन यजीद की सेना ने इमाम हुसैन को अपने परिवार और साथियों सहित कल्लत कर दिया। उनकी इस शहदत को आज भी मुस्लिम लोग याद करते हैं। कहा जाता है कि इमाम हुसैन की याद में ही मुस्लिम समाज के लोग मुहर्रम के शुरूवाती 10 दिनों तक मातम मनाते हैं।
जानें क्या है यौम-ए-अशूरा
आपको बता दें कि मुहर्रम महीने की दसवीं तारीख को यौम-ए-आशूरा के नाम से जाना जाता है। इस दिन मुस्लिम धर्म के लोग जुलूस निकालते हैं, जिसे ताजिया के नाम से जाना जाता है। जुलूस के दौरान महिलाएं छाती पीट कर हुसैन की शहादत को याद करती हैं तो वहीं अन्य लोग खुद को चोट पहुंचाकर इमाम हुसैन के दर्द को महसूस करते हैं। इस दौरान गर्म का गीत जिसे मर्सिया कहा जाता है वह भी गाया जाता है।
कब निकलेगी ताजिया?
इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार इस साल मुहर्रम का पाक महीना 27 जून से शुरू हो चुका है, जिसकी दसवीं तारीख 6 जुलाई दिन रविवार को है। इसलिए इसी दिन यौम-ए-अशूरा है और इसी दिन ताजिए का जुलूस भी निकाला जाएगा। यौम-ए-अशूरा के दिन मुस्लिम लोग रोजा भी रखते हैं।

