Bihar Politics: बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। एनडीए और इंडिया गठबंधन चुनावी रणनीति को धार दे रहे हैं। इसी बीच विपक्ष के महागठबंधन को झटका लग सकता है। दरअसल विकासशील इंसान पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी (Mukesh Sahani) के एनडीए में वापसी करने की खबरें चल रही हैं। हालांकि खुद सहनी ने इन अटकलों को खारिज किया है।
मुकेश सहनी ने ठोका 60 सीटों का दावा
मुकेश सहनी ने कहा कि हमारी पार्टी से डिप्टी सीएम हो, सीएम तेजस्वी यादव हों। हम अति पिछड़ा समाज से आते हैं और कार्यकर्ताओं का कहना है कि हमें मौका मिलना चाहिए। 60 सीटों पर लड़ना चाहते हैं, ये हमने अपनी पार्टी के लिए टारगेट सेट किया है। मुकेश सहनी ने कहा कि मैं कहीं नहीं जा रहा। महागठबंधन में कम्फर्टेबल हूं। 2-4 सीट कम भी मिले तो भी यहीं रहूंगा।
महागठबंधन का सीटों वाला गणित
बिहार में 243 विधानसभा सीटें हैं। बिहार में महागठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी आरजेडी है। दूसरे नम्बर पर कांग्रेस है। अभी विधानसभा में आरजेडी के 77 विधायक हैं। वहीं कांग्रेस के 19 विधायक हैं। इसके अलावा भाकपा और माकपा के पास 2-2 और माले के पास 11 विधायक हैं।
आरजेडी मुख्य विपक्षी पार्टी है। ऐसे में जाहिर है कि आरजेडी सबसे ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। वहीं कांग्रेस ने भी 70 सीटों की रट लगा रखी है। ऐसे में मुकेश सहनी की 60 सीटों वाली डिमांड ने महागठबंधन की टेंशन बढ़ा रखी है। हालांकि उनकी डिमांड को लेकर पेंच फंस सकता है, क्योंकि उनकी 60 सीटों की डिमांड पूरी हो पाना मुश्किल लग रहा है। अगर मुकेश सहनी की सीटों को लेकर बात नहीं बनती है तो वे एनडीए का रुख भी कर सकते हैं। हालांकि उन्हें एनडीए में भी 60 सीटें मिल पाना मुश्किल है।
बिहार BJP अध्यक्ष से मिले सहनी
खबर ये भी है कि भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मंत्री दिलीप जायसवाल (Dilip Kumar Jaiswal) और मुकेश सहनी के बीच बीती रात मुलाकात हुई है। इसके बाद मुकेश सहनी ने एनडीए में शामिल होने की इच्छा जताई है।
मंत्री बनाया फिर भी NDA का साथ छोड़ा
दरअसल 2020 के विधानसभा चुनाव के समय मुकेश सहनी महागठबंधन के साथ थे, लेकिन टिकट बंटवारे के समय बैठक छोड़कर एनडीए में शामिल हो गए। NDA ने उन्हें 11 सीटें दी थीं। उनके चार विधायक बने थे। बाद में ये सभी विधायक भाजपा में चले गए। मुकेश सहनी खुद चुनाव हार गए थे, जिसके बाद उन्हें विधान परिषद भेजकर मंत्री बनाया गया, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले वे महागठबंधन में चले गए।

