Mumbai Serial Local Train Blasts 2006: बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2006 में हुए मुंबई Local Train Blasts केस में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने इस मामले में दोषी ठहराए गए 12 आरोपियों में से 11 को बरी कर दिया है। एक आरोपी की पहले ही मृत्यु हो चुकी थी। हाईकोर्ट की दो जजों की पीठ, जस्टिस अनिल किलोर और जस्टिस एस.जी. चांडक ने यह फैसला सुनाया।
2015 में निचली अदालत ने 12 में से 5 आरोपियों को फांसी की सजा और 7 को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इनमें मोहम्मद फैसल शेख, एहतशाम सिद्धीकी, नावेद हुसैन खान, आसिफ खान और कमल अंसारी को मृत्युदंड दिया गया था। लेकिन अब हाईकोर्ट ने इन सभी को निर्दोष बताते हुए फैसले को पलट दिया। कमल अंसारी की 2022 में कोरोना संक्रमण के कारण जेल में मौत हो गई थी।
11 मिनट में 7 धमाके, 189 लोगों की मौत

मुंबई को दहला देने वाली यह घटना 11 जुलाई 2006 को हुई थी, जब महज 11 मिनट में शहर की 7 लोकल ट्रेनों में धमाके हुए। इन सिलसिलेवार विस्फोटों में कुल 189 लोगों की मौत हुई थी और 827 से अधिक यात्री गंभीर रूप से घायल हुए थे। यह देश की सबसे बड़ी आतंकी घटनाओं में से एक मानी जाती है।
घटना के बाद महाराष्ट्र पुलिस और ATS ने 13 आरोपियों को गिरफ्तार किया था, जिनमें से एक की मौत पहले ही हो गई थी। शेष 12 के खिलाफ सत्र न्यायालय ने वर्ष 2015 में फैसला सुनाया, लेकिन अब हाईकोर्ट ने उस फैसले को पलटते हुए सभी 11 आरोपियों को बरी कर दिया है।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर हुई सुनवाई
सभी आरोपी नाशिक, येरवडा और नागपुर की जेलों में बंद थे। हाईकोर्ट की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हुई। इस साल जनवरी में अंतिम सुनवाई पूरी हो चुकी थी, लेकिन कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था, जिसे अब सार्वजनिक किया गया है।
अभियोजन पक्ष नहीं दे सका पुख्ता सबूत
फैसले में कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ पुख्ता और निर्णायक सबूत पेश करने में असफल रहा। कोर्ट के अनुसार, यह मानना मुश्किल है कि इन आरोपियों ने ही धमाके किए थे। इस आधार पर सभी की दोषसिद्धि को रद्द कर दिया गया है।
पीठ ने कहा कि अगर आरोपी किसी अन्य अपराध में वांछित नहीं हैं, तो उन्हें तत्काल प्रभाव से रिहा किया जाए। यह फैसला न्यायिक प्रणाली में निष्पक्षता और पर्याप्त सबूतों के महत्व को दर्शाता है।