Naga Council Protest: भारत-म्यांमार सीमा पर कांटेदार तार लगाने के केंद्र सरकार के निर्णय के विरोध में मणिपुर की नागा काउंसिल ने बड़े स्तर पर आंदोलन छेड़ दिया है। नागा समुदाय की ओर से ‘बाणिज्य बंद’ का आह्वान करते हुए मणिपुर में दो महत्वपूर्ण राष्ट्रीय राजमार्गों राष्ट्रीय राजमार्ग 2 और 37 को बंद कर दिया गया है। इसका असर पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र के यातायात और व्यापार पर पड़ा है। इस आंदोलन की वजह से बुधवार सुबह से कई ट्रकों का आवागमन थम गया है। यह विरोध प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मणिपुर दौरे (13 सितंबर) से ठीक पहले हुआ है, जिससे क्षेत्र में नई अशांति की आशंका बढ़ गई है।
आंदोलन का कारण
मणिपुर में नागा काउंसिल की मुख्य मांग भारत-म्यांमार सीमा पर कांटेदार तार लगाने के निर्णय को वापस लेने की है। केंद्र सरकार ने सुरक्षा कारणों से 1,643 किलोमीटर लंबी सीमा पर फेंसिंग का काम शुरू किया है, ताकि म्यांमार से हथियारों के अवैध प्रवेश को रोका जा सके। हालांकि, नागा समुदाय का कहना है कि सीमा पर ऐसी फेंसिंग से उनकी पारंपरिक आजादी और सांस्कृतिक संपर्क बाधित होगा।
स्थानीय नागा आदिवासियों को नियम के अनुसार सीमा से 14 किलोमीटर तक की ‘खुली सीमा’ के तहत आवागमन की अनुमति है। कांटेदार तार लगने पर यह खुलापन खत्म हो जाएगा और मणिपुर, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश और म्यांमार के नागा समुदाय के बीच पारंपरिक संपर्क प्रभावित होगा। नागा समुदाय इसे अपनी सांस्कृतिक पहचान पर हमला मान रहा है।
बढ़ती हिंसा और तनाव की पृष्ठभूमि
मणिपुर में पिछले दो वर्षों से कुकी और मेटई समुदायों के बीच हिंसा लगातार जारी है। यह क्षेत्र युद्धक्षेत्र बन चुका है। माना जाता है कि म्यांमार से बड़ी मात्रा में हथियार यहां पहुंचाए जा रहे हैं, जिससे हिंसा और बढ़ी है। इस बीच सीमा सुरक्षा के लिए फेंसिंग का निर्णय लिया गया, लेकिन इससे नागा समुदाय में असंतोष और विरोध उभरा।
26 अगस्त को नागा काउंसिल ने केंद्र के गृह मंत्रालय के साथ बैठक की थी, जिसमें उन्होंने अपनी मांगें रखीं। हालांकि, उनकी बातों को मान्यता नहीं दी गई, जिसके बाद उन्होंने सड़कों को अवरुद्ध करने का कदम उठाया।
बंद हुए महत्वपूर्ण राष्ट्रीय राजमार्ग
आंदोलन की वजह से मणिपुर में राष्ट्रीय राजमार्ग 2 और 37 बंद हो गए हैं।राष्ट्रीय राजमार्ग 2 नागालैंड के डिमापुर से मणिपुर की राजधानी इम्फाल तक जाता है। यह मणिपुर, नागालैंड और मिजोरम के बीच प्रमुख संपर्क मार्ग है।राष्ट्रीय राजमार्ग 37 असम के बदरपुर से इम्फाल को जोड़ता है।इन दोनों मार्गों के बंद होने से मणिपुर में खाद्य सामग्री, दवाइयां और अन्य आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति बाधित हो गई है। इसके चलते पूर्वोत्तर क्षेत्र के वाणिज्य और परिवहन पर गहरा असर पड़ा है।
आगे की संभावना
प्रधानमंत्री मोदी के मणिपुर दौरे से पहले यह आंदोलन क्षेत्रीय राजनीति और सुरक्षा के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। नागा समुदाय की मांगों को लेकर केंद्र सरकार को कूटनीतिक समाधान खोजने की आवश्यकता है ताकि पूर्वोत्तर में शांति बनी रहे और सीमा सुरक्षा भी सुनिश्चित हो सके।
मणिपुर की नागा काउंसिल का यह आंदोलन केवल स्थानीय संघर्ष नहीं बल्कि सांस्कृतिक और सुरक्षा से जुड़ा मामला है। भारत-म्यांमार सीमा पर फेंसिंग को लेकर संतुलन साधना सरकार के लिए महत्वपूर्ण होगा। पूर्वोत्तर के इस संवेदनशील क्षेत्र में शांति और विकास के लिए संवाद और समझौता ही एकमात्र रास्ता दिखता है।
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