Nagchandreshwar Temple Ujjain: भारत में अनेक ऐसे मंदिर हैं जो अपनी अनोखी परंपराओं, रहस्यमयी संरचना और विशेष मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध हैं। उज्जैन स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर भी एक ऐसा ही मंदिर है, जो अपनी विशिष्टता के कारण भक्तों के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह पूरे साल में सिर्फ एक बार, नागपंचमी के दिन ही भक्तों के दर्शन के लिए खोला जाता है। बाकी के 364 दिन यह मंदिर बंद रहता है और इस दौरान कोई भी यहां प्रवेश नहीं कर सकता।
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नागपंचमी पर खुलते हैं मंदिर के द्वार

हर साल नागपंचमी के दिन, जो कि इस साल 29 जुलाई दिन मंगलवार को पड़ रही है, नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट पूरे दिन के लिए भक्तों के लिए खोले जाते हैं। इस दिन लाखों श्रद्धालु उज्जैन पहुंचते हैं ताकि भगवान शिव और माता पार्वती की अद्भुत प्रतिमा के दर्शन कर सकें। मान्यता है कि इस मंदिर के दर्शन से राहु-केतु और कालसर्प दोष से छुटकारा मिलता है, इसलिए विशेष रूप से यह दिन बेहद खास होता है।
शेषनाग पर विराजमान शिव-पार्वती
नागचंद्रेश्वर मंदिर में स्थापित प्रतिमा की बात करें तो यह एक अद्वितीय कलाकृति है। भगवान शिव और माता पार्वती की यह प्रतिमा शेषनाग की छांव में विराजमान है। इतिहासकारों के अनुसार यह मूर्ति 11वीं शताब्दी की बताई जाती है और अपनी तरह की इकलौती प्रतिमा है जो भारत में और कहीं नहीं पाई जाती।
कर्कोटक नाग की तपस्या का स्थान
इस मंदिर से जुड़ी एक प्रमुख पौराणिक कथा यह भी है कि कर्कोटक नामक नाग ने इस स्थान पर घोर तपस्या की थी। भगवान शिव उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिए और यहीं रहने का आदेश दिया। आज भी मान्यता है कि कर्कोटक नाग गुप्त रूप से इस स्थान पर निवास करते हैं। महाकाल मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित कर्कोटेश्वर मंदिर भी इस कथा से जुड़ा हुआ है और यह भी श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है।
त्रिकाल पूजा
नागपंचमी के दिन यहां एक विशेष त्रिकाल पूजन की परंपरा निभाई जाती है। त्रिकाल का मतलब है, सुबह, दोपहर और रात तीनों समय की पूजा। सुबह की पूजा महानिर्वाणी अखाड़े द्वारा की जाती है, दोपहर में प्रशासनिक अधिकारी पूजन करते हैं और रात्रि में महाकाल मंदिर समिति द्वारा अंतिम पूजा की जाती है। रात 12 बजे के बाद आखिरी आरती के साथ ही मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं और अगले साल नागपंचमी तक कोई भी दर्शन नहीं कर सकता।

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां पौराणिक कथाओं,धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। खबर में दी जानकारी पर विश्वास व्यक्ति की अपनी सूझ-बूझ और विवेक पर निर्भर करता है। प्राइम टीवी इंडिया इस पर दावा नहीं करता है ना ही किसी बात पर सत्यता का प्रमाण देता है।
