National Sports Bill : राष्ट्रीय खेल विधेयक 2025 अब आधिकारिक रूप से कानून का रूप ले चुका है, जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को इस पर हस्ताक्षर कर दिए। संसद के दोनों सदनों से पारित होने के बाद इसे अंतिम स्वीकृति मिल गई। सरकार की ओर से जारी राजपत्र अधिसूचना में कहा गया, “18 अगस्त 2025 को राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद इसे अधिनियम के रूप में प्रकाशित किया गया है।”
लोकसभा में बहस के बाद हुआ था पारित
केंद्र सरकार की एक राजपत्र अधिसूचना में कहा गया है, ‘संसद के निम्नलिखित अधिनियम को 18 अगस्त, 2025 को राष्ट्रपति की मंज़ूरी प्राप्त हो गई है और राष्ट्रीय खेल अधिनियम, 2025 की सामान्य जानकारी प्रकाशित कर दी गई है।’ खेल विधेयक पर लंबे समय से विचार चल रहा था। 23 जुलाई को इसे पहली बार लोकसभा में पेश किया गया था। बाद में, 11 अगस्त को इसे लोकसभा में पारित कर दिया गया। कुछ घंटों की चर्चा के बाद, विधेयक को राज्यसभा में भी पारित कर दिया गया। अंततः, यह कानून बन गया।
महिला एथलीटों की सुरक्षा को मिला कानूनी संरक्षण
खेल अधिनियम भारतीय खेल ढांचे में कई महत्वपूर्ण बदलाव ला रहा है। जिस तरह एथलीटों के मताधिकार को अनिवार्य बनाया जा रहा है, उसी तरह महिलाओं को अधिक प्राथमिकता दी जा रही है। इसके साथ ही, यह विधेयक महिला एथलीटों की सुरक्षा पर भी ज़ोर देता है। एक अपीलीय खेल न्यायाधिकरण का गठन किया जा रहा है। जहाँ खेल से जुड़े सभी मामलों का निपटारा होगा। इसके साथ ही, भारतीय ओलंपिक संघ का अब खेल संगठनों पर नियंत्रण नहीं रहेगा, बल्कि वह खेल बोर्ड के अधीन होगा।
आया कानून के दायरे में बीसीसीआई
कुछ अपवादों को छोड़कर, खेल कानून बीसीसीआई पर भी लागू होंगे। बीसीसीआई जैसी स्वायत्त संस्थाएँ शुरू से ही खेल विधेयक के दायरे में आने को तैयार नहीं थीं। क्योंकि, वे आर्थिक रूप से केंद्र सरकार पर निर्भर नहीं हैं। हालांकि बीसीसीआई भी खेल विधेयक के दायरे में आएगा। लेकिन उन्हें आरटीआई के दायरे में नहीं आना होगा। इसके अलावा, कुछ संशोधनों के कारण भारतीय बोर्ड का पदाधिकारी बनने की राह आसान हो गई है। लोकसभा में विधेयक पारित करते हुए खेल मंत्री मनसुख मंडाव्या ने इसे “स्वतंत्रता के बाद भारतीय खेलों के इतिहास का सबसे बड़ा सुधार” बताया।

