Navneet Sehgal Resigns: उत्तर प्रदेश कैडर के 1988 बैच के रिटायर्ड आईएएस अधिकारी नवनीत कुमार सहगल ने मंगलवार को प्रसार भारती के चेयरपर्सन पद से अचानक इस्तीफा दे दिया। उनका यह अचानक इस्तीफा कई लोगों के लिए हैरानी की बात है, क्योंकि उन्हें इस अहम पद पर आए हुए अभी दो साल भी पूरे नहीं हुए थे। सहगल ने 16 मार्च 2024 को यह पदभार संभाला था। इससे पहले वह पिछले साल यूपी में अतिरिक्त मुख्य सचिव (खेल और युवा कल्याण) के रूप में सेवानिवृत्त हुए थे। 35 साल से अधिक के सरकारी अनुभव के साथ, सहगल ने केंद्र और राज्य स्तर पर शासन और नीतिगत मामलों में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।
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यूपी के तीन मुख्यमंत्रियों का भरोसा जीतने वाले अधिकारी
यूपी के राजनीतिक गलियारों में नवनीत सहगल को पिछले दो दशकों में लगातार सरकारों के दौरान प्रभाव बनाए रखने वाले एक महत्वपूर्ण पावर सेंटर के रूप में देखा जाता है। उन्हें कभी राज्य के सबसे प्रभावशाली आईएएस अधिकारियों में गिना जाता था।
मायावती का विश्वास (2007-2012): सहगल 2007 से 2012 तक मायावती के सचिव रहे और इसी दौर में वह एक बड़े पावर सेंटर के रूप में स्थापित हुए।
अखिलेश की ड्रीम परियोजना: 2012 में अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री बनने पर उन्हें कम महत्व वाले विभाग दिए गए, लेकिन 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के बाद उन्हें संकट प्रबंधन के लिए प्रधान सचिव (सूचना) बनाकर वापस बुलाया गया। उन्होंने लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे की निगरानी भी की।
योगी आदित्यनाथ का भरोसा: 2017 में योगी आदित्यनाथ के सत्ता में आने पर उन्हें फिर से ‘ऑफिसर ऑन वेटिंग’ की सूची में डाल दिया गया था, लेकिन 2020 के हाथरस मामले के बाद मुख्यमंत्री ने उन पर फिर भरोसा किया। उन्हें सरकार का “समस्या समाधानकर्ता” और तेज मीडिया मैनेजमेंट क्षमता वाला अधिकारी माना जाता था।
सहगल के राजनीतिक नेटवर्क की ताकत
नवनीत सहगल उत्तर प्रदेश में अपने विस्तृत राजनीतिक नेटवर्क के लिए जाने जाते हैं। इस साल मार्च में लखनऊ में उनके बेटे के विवाह समारोह में उनकी यह पहुंच साफ दिखी। इस समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव, बसपा महासचिव सतीश मिश्रा, और कांग्रेस विधायक दल की नेता आराधना मिश्रा समेत कई बड़े नेता मौजूद थे। अखिलेश यादव की उपस्थिति ने उनके नाराज होने की अटकलों को खारिज किया, वहीं योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति ने सीएम और सहगल के बीच मजबूत रिश्ते को दर्शाया, भले ही सहगल को अक्सर “केंद्र का आदमी” कहा जाता रहा हो।
योगी ने नहीं दी नियुक्ति, फिर भी यूपी में ‘पावर सेंटर’ बने रहे सहगल
सहगल 31 जुलाई 2023 को सेवा से रिटायर हुए। हालांकि, यह ध्यान देने वाली बात है कि उन्हें सेवानिवृत्ति के तुरंत बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से कोई नियुक्ति नहीं मिली, जबकि उनके करीबी सहयोगी अवनीश अवस्थी को सितंबर 2022 में ही मुख्यमंत्री का सलाहकार बना दिया गया था। सहगल 2018 निवेशक सम्मेलन और 2023 ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट से पहले यूपी सरकार की ब्रांडिंग के पीछे प्रमुख अधिकारियों में से एक थे। एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ने उनकी असाधारण पहुंच का जिक्र करते हुए कहा कि मुकेश अंबानी और अभिनेता अक्षय कुमार जैसे बड़े नामों ने भी लखनऊ में नवनीत का नाम लिया था।
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नवनीत सहगल को BJP-SP नेताओं ने बताया ‘बहुमुखी प्रबंधक’
बीजेपी और समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने नवनीत सहगल को एक बहुमुखी और प्रभावी प्रबंधक बताया है। एक बीजेपी नेता ने बताया कि शुरुआत में योगीजी उन्हें अहम विभाग देने के इच्छुक नहीं थे, लेकिन हाथरस मामले के दौरान सुनील बंसल और अन्य भाजपा पदाधिकारियों के सुझाव पर उन्हें महत्वपूर्ण भूमिका देनी पड़ी। एक सपा नेता ने कहा, “वह जानते हैं कि मुख्यमंत्री का भरोसा कैसे जीता जाता है।” अधिकारी वर्ग में भी उनकी पहचान “सुलभ, बेहद जुड़े हुए और मीडिया मैनेजमेंट में कुशल” अधिकारी के रूप में है।
राजनीति में आने की अटकलें
एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ने कहा कि नवनीत सहगल के राजनीति में आने की अटकलें लंबे समय से चल रही हैं, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ है। प्रसार भारती के चेयरपर्सन पद से इस्तीफा देने के बाद अब राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि क्या यह इस्तीफा उनके किसी नए राजनीतिक कदम की ओर इशारा करता है। अधिकारी ने संकेत दिया कि शायद जल्दी ही कोई बड़ा खुलासा हो सकता है।

