NCERT New Module: ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ के मौके पर राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने 16 अगस्त को एक नया इतिहास मॉड्यूल जारी किया है। इस मॉड्यूल ने आते ही राजनीतिक हलकों में बहस और विवाद को जन्म दे दिया है। इसमें भारत के 1947 के विभाजन के लिए तीन प्रमुख पक्षों – मोहम्मद अली जिन्ना, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और तत्कालीन वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन – को जिम्मेदार बताया गया है। अब तक जिन्ना को ही विभाजन का मुख्य कारण माना जाता रहा है, लेकिन यह नया नजरिया शिक्षा जगत में एक नई बहस की शुरुआत कर रहा है।
मॉड्यूल में बताया गया तीनों पक्षों की भूमिका
नए मॉड्यूल के अनुसार, विभाजन की मांग सबसे पहले मुस्लिम लीग के नेता मोहम्मद अली जिन्ना ने उठाई थी। इसके बाद कांग्रेस ने इस मांग को स्वीकार किया और अंततः लॉर्ड माउंटबेटन ने इस प्रस्ताव को औपचारिक रूप से अमल में लाकर भारत और पाकिस्तान के गठन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया। इस दृष्टिकोण से अब यह दावा किया जा रहा है कि भारत के विभाजन की जिम्मेदारी सिर्फ जिन्ना पर नहीं बल्कि कांग्रेस और ब्रिटिश सत्ता पर भी है। इससे अब तक प्रचलित ऐतिहासिक धारणाओं पर सवाल खड़े हो गए हैं।
कांग्रेस ने किया विरोध
इस नए मॉड्यूल पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने आरोप लगाया कि यह इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश करने की कोशिश है। उन्होंने कहा कि भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान कांग्रेस नेताओं ने अपने-अपने पदों से इस्तीफा दे दिया था, जबकि उस वक्त हिंदू महासभा और मुस्लिम लीग ने ब्रिटिश सरकार के साथ मिलकर विभिन्न प्रांतों में सरकारें बनाई थीं। खेड़ा ने कहा कि बंगाल, सिंध और पंजाब जैसे राज्यों की विधानसभाओं में विभाजन के प्रस्ताव इन्हीं गठबंधनों ने पारित किए थे, लेकिन यह तथ्य नए मॉड्यूल में पूरी तरह गायब है। उन्होंने यहां तक कहा कि इस मॉड्यूल को आग लगा देनी चाहिए क्योंकि इसमें ऐतिहासिक सच्चाईयों को छिपाया गया है।
“हिंदू महासभा और मुस्लिम लीग की मिलीभगत से हुआ विभाजन”
पवन खेड़ा ने यह भी कहा कि विभाजन की असली ज़िम्मेदार मुस्लिम लीग के साथ-साथ हिंदू महासभा थी, जिन्होंने ब्रिटिश सत्ता के साथ सांठगांठ करके विभाजन की नींव रखी। उन्होंने आरोप लगाया कि यह दोनों संगठन सत्ता में हिस्सेदारी पाने के लिए एकजुट हो गए थे और यही गठजोड़ विभाजन का असली कारण बना। खेड़ा ने साथ ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर भी हमला बोला और कहा कि “इतिहास का सबसे बड़ा विलेन आरएसएस है”, लेकिन उसे कहीं ज़िक्र तक नहीं किया गया है। कांग्रेस नेता ने यह भी सवाल उठाया कि क्या किसी एजेंडे के तहत इतिहास को बदला जा रहा है।
राजनीतिक और शैक्षिक हलकों में तीखी बहस शुरू
NCERT के इस नए मॉड्यूल से जुड़ी यह बहस अब महज राजनीतिक नहीं रही, बल्कि शिक्षाविदों और इतिहासकारों के बीच भी तीखी चर्चा का विषय बन गई है। एक पक्ष इसे ऐतिहासिक तथ्यों का पुनर्पाठ मानता है, तो दूसरा पक्ष इसे विचारधारा आधारित हस्तक्षेप करार देता है। यह देखना अब दिलचस्प होगा कि सरकार इस पर क्या रुख अपनाती है और NCERT क्या स्पष्टीकरण देता है। इतिहास की व्याख्या को लेकर यह बहस अभी थमती नहीं दिख रही है।
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