NDA Meeting: राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) शासित राज्यों के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री रविवार को दिल्ली में आयोजित एक दिवसीय “सुशासन एवं श्रेष्ठ प्रथाओं” पर आधारित मंथन बैठक में हिस्सा लेंगे। इस महत्वपूर्ण बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे, जिसमें भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री अमित शाह भी मौजूद रहेंगे।
20 मुख्यमंत्री और 18 उपमुख्यमंत्री होंगे शामिल
बताते चले कि, बैठक में एनडीए शासित कुल 20 राज्यों के मुख्यमंत्री और 18 उपमुख्यमंत्री भाग लेंगे। इस पूरी बैठक का समन्वयन भाजपा के सुशासन प्रकोष्ठ द्वारा किया जा रहा है। यह बैठक एनडीए सरकार की नीतियों और योजनाओं की समीक्षा और साझा करने का मंच बनेगी।
दो प्रमुख प्रस्ताव पारित किए जाएंगे
मिली जानकारी के अनुसार, इस अहम बैठक में दो प्रमुख प्रस्ताव पारित किए जाएंगे। पहला प्रस्ताव ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता और सशस्त्र बलों के साथ प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व की सराहना से संबंधित होगा। वहीं, दूसरा प्रस्ताव जातिगत जनगणना को लेकर केंद्र सरकार के निर्णय का समर्थन करता हुआ पारित किया जाएगा।
राज्यों की सुशासन पहलों का होगा साझा प्रेजेंटेशन
बैठक के दौरान एनडीए शासित राज्य सरकारें अपनी-अपनी सुशासन से जुड़ी पहलों और नवाचारों का प्रस्तुतीकरण देंगी। मुख्यमंत्री अपनी-अपनी सरकारों द्वारा किए गए प्रभावशाली कार्यों और योजनाओं की जानकारी साझा करेंगे, जिससे अन्य राज्य भी उनसे प्रेरणा ले सकें।
अहम आयोजनों पर भी चर्चा होगी
बैठक में आने वाले अहम आयोजनों पर भी चर्चा होगी, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी के तीसरे कार्यकाल के पहले वर्ष की उपलब्धियां, अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के 10 वर्ष पूरे होने पर कार्यक्रम, और आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर “लोकतंत्र हत्या दिवस” मनाने जैसे मुद्दे शामिल हैं।
बिहार चुनाव की रणनीति पर भी हो सकती है चर्चा
यह बैठक सिर्फ प्रशासनिक नहीं बल्कि राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। खासकर इस साल के अंत में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर भी रणनीतिक चर्चा की संभावना है। खास बात यह है कि बिहार के मुख्यमंत्री, जो पहले नीति आयोग की बैठक से दूर रहे थे, वे भी इस मंथन में भाग ले रहे हैं।
एनडीए की यह मंथन बैठक जहां सुशासन और नीति-निर्माण की दिशा तय करेगी, वहीं यह केंद्र सरकार की आगामी राजनीतिक रणनीतियों का भी संकेत दे सकती है। पार्टी नेतृत्व और राज्यों के मुख्यमंत्रियों की साझा उपस्थिति इसे और भी महत्वपूर्ण बना देती है।
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