Nepal Earthquake: नेपाल में आज शाम 7:52 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 5.0 मापी गई। फिलहाल, इस भूकंप से किसी भी तरह के हताहत की खबर सामने नहीं आई है। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र ने बताया कि यह भूकंप 20 किलोमीटर की गहराई में आया था। भूकंप का केंद्र उत्तराखंड के पिथोरागढ़ जिले में था। इसके बाद, उत्तर भारत में भी भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए।
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उत्तर भारत में महसूस किए गए हल्के झटके
भूकंप का केंद्र पिथोरागढ़ जिले में होने के कारण, इसके झटके उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में भी महसूस हुए। हालांकि, इन झटकों से किसी तरह के बड़े नुकसान की खबर नहीं आई है। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के मुताबिक, भूकंप की गहराई 20 किलोमीटर थी और इसका असर नेपाल के आसपास के क्षेत्रों में भी देखा गया। इसके अलावा, उत्तर भारत के विभिन्न राज्यों में भी हल्के झटके महसूस किए गए, जिससे लोग दहशत में आ गए, लेकिन किसी भी बड़ी घटना की जानकारी नहीं मिली।
नेपाल और दक्षिण-पूर्व एशिया में भूकंप के झटके
नेपाल का भूकंपीय क्षेत्र हमेशा से ही अत्यधिक सक्रिय रहा है और यहां भूकंप की घटनाएं लगातार होती रहती हैं। 28 मार्च 2025 को, म्यांमार और थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में एक शक्तिशाली भूकंप आया था, जिसने भारी तबाही मचाई थी। उस दिन, नेपाल में भी सुबह 6.1 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसके झटके भारत के बिहार, सिलीगुड़ी और अन्य पड़ोसी क्षेत्रों में महसूस किए गए थे। इससे पहले, भारत और तिब्बत की सीमावर्ती क्षेत्रों में भी भूकंप के हल्के झटके महसूस हुए थे, जिससे इन क्षेत्रों के निवासी घबराए हुए थे।
सोलापुर में भूकंप, महाराष्ट्र में महसूस हुए हल्के झटके
महाराष्ट्र राज्य के सोलापुर जिले में गुरुवार, 3 अप्रैल 2025 को भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर इस भूकंप की तीव्रता 2.6 मापी गई थी। भूकंप का केंद्र दक्षिण-पश्चिम महाराष्ट्र में स्थित इस जिले के संगोला के पास था, जो जमीन से पांच किलोमीटर की गहराई में था। हालांकि, इस भूकंप से भी कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ और ना ही किसी तरह के जानमाल के नुकसान की सूचना मिली है।
नेपाल का भूकंपीय क्षेत्र अत्यधिक सक्रिय
नेपाल दुनिया के सबसे सक्रिय भूकंपीय क्षेत्रों में से एक है, जहां भूकंप का खतरा लगातार बना रहता है। नेपाल के विभिन्न हिस्से जैसे कि काठमांडू, ताप्लेजुंग, पिथोरागढ़ आदि भूकंपीय रूप से संवेदनशील क्षेत्र माने जाते हैं। यहां हर साल भूकंप की घटनाएं होती रहती हैं, जिनकी तीव्रता और प्रभाव स्थानीय निवासियों को प्रभावित करता है। नेपाल की भूकंपीय स्थिति के कारण यहां के लोग अक्सर इन प्राकृतिक आपदाओं के लिए तैयार रहते हैं और उनकी सुरक्षा के लिए जागरूक रहते हैं।
भूकंप की तीव्रता और प्रभाव पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण
भूकंप तब आता है जब धरती की टेक्टोनिक प्लेटें आपस में टकराती हैं या खिसकती हैं। इससे उत्पन्न होने वाली ऊर्जा भूकंपीय तरंगों के रूप में बाहर निकलती है, जिससे धरती हिलने लगती है। भूकंप की तीव्रता को रिक्टर स्केल से मापते हैं। नेपाल में भूकंप की घटनाएं सामान्य हैं, लेकिन इनकी तीव्रता और प्रभाव के अनुसार जान-माल की क्षति हो सकती है। वैज्ञानिक रूप से, भूकंप के प्रभाव की भविष्यवाणी करना कठिन है, लेकिन इस खतरे को कम करने के लिए भूकंप की पूर्व चेतावनी प्रणाली और प्रभावित क्षेत्रों में तैयारी की आवश्यकता होती है।