Nepal New Govt: नेपाल में चल रहे राजनीतिक संकट के बीच पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को शुक्रवार, 12 सितंबर 2025 को देश की अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई। यह पहली बार है जब नेपाल को कोई महिला प्रधानमंत्री मिली है, और वो भी एक ऐसी नेता, जिन्हें जनता के आह्वान और आंदोलनों के दबाव में यह जिम्मेदारी सौंपी गई।
नेपाल में केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद जारी राजनीतिक अनिश्चितता के बीच सुशीला कार्की को यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है। उनके शपथ ग्रहण के साथ ही नेपाल की संसद को भंग कर दिया गया है और नई सरकार का गठन हुआ है।
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पीएम नरेंद्र मोदी की प्रतिक्रिया

नेपाल में नई सरकार बनने पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तुरंत प्रतिक्रिया दी। उन्होंने सोशल मीडिया पर सुशीला कार्की को बधाई देते हुए लिखा, “नेपाल की अंतरिम सरकार की प्रधानमंत्री के रूप में पद ग्रहण करने पर माननीय सुशीला कार्की जी को हार्दिक शुभकामनाएं। नेपाल के भाई-बहनों की शांति, प्रगति और समृद्धि के लिए भारत पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।” पीएम मोदी ने यही संदेश नेपाली भाषा में भी साझा किया, जिससे भारत-नेपाल के आपसी रिश्तों में सौहार्द और समर्थन का संकेत मिला।
सुशीला कार्की को भारत समर्थक नेता माना जाता है, वहीं पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को चीन का करीबी कहा जाता था। कार्की ने अतीत में पीएम नरेंद्र मोदी की कार्यशैली की भी प्रशंसा की थी और कहा था कि वे मोदी से प्रभावित हैं।
जनता की जीत
सुशीला कार्की का नाम सबसे पहले GenZ प्रदर्शनकारियों द्वारा प्रस्तावित किया गया था। इन आंदोलनकारियों ने सेना के मुखिया को कार्की का नाम सौंपा था। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल शुरुआत में संविधान का हवाला देकर हिचकिचा रहे थे, क्योंकि नेपाल के संविधान में पूर्व न्यायाधीश को राजनीतिक पद पर बैठने की अनुमति नहीं है। लेकिन आंदोलन की तीव्रता और जनदबाव के चलते उन्हें यह निर्णय लेना पड़ा।
GenZ आंदोलनकारियों की पांच प्रमुख मांगे जो कार्की सरकार ने मानीं
6 से 12 महीने के भीतर चुनाव कराए जाएं – सुशीला कार्की की अगुवाई वाली सरकार ने इस मांग को स्वीकार कर लिया है।
संसद भंग की जाए – नेपाल की प्रतिनिधि सभा को भंग कर दिया गया है, और अंतरिम व्यवस्था लागू हो गई है।
नागरिक और सैन्य प्रतिनिधियों वाली सरकार का गठन – अंतरिम सरकार में जन और सैन्य दोनों पक्षों को प्रतिनिधित्व दिया गया है।
राजनीतिक दलों और पूर्व नेताओं की संपत्ति की जांच के लिए एक शक्तिशाली न्यायिक आयोग बनाया जाए – सरकार इस पर कार्य शुरू कर चुकी है।
प्रदर्शनकारियों पर हुई हिंसा की निष्पक्ष जांच और पीड़ितों को न्याय दिया जाए – स्वतंत्र जांच की प्रक्रिया जल्द शुरू होने की उम्मीद है।
महिला नेतृत्व और युवा आंदोलन की ताकत
नेपाल में सुशीला कार्की का प्रधानमंत्री बनना केवल एक संवैधानिक नियुक्ति नहीं, बल्कि यह एक बड़े सामाजिक और राजनीतिक बदलाव का प्रतीक है। यह दर्शाता है कि किस तरह युवा आंदोलन, विशेषकर Gen-Z, सत्ता के केंद्र में बदलाव लाने की ताकत रखते हैं।

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