Nepal Protest : नेपाल में सोमवार, 8 सितंबर को उस वक्त हालात बेकाबू हो गए जब सोशल मीडिया बैन के खिलाफ Gen-Z युवाओं का आंदोलन हिंसक हो गया। राजधानी काठमांडू से लेकर कई शहरों तक हजारों युवा सड़कों पर उतर आए। सरकार के इस फैसले के खिलाफ लोगों का गुस्सा इतना बढ़ा कि देखते ही देखते प्रदर्शन उग्र हो गया, जिसके चलते 20 लोगों की मौत हो गई और 300 से अधिक लोग घायल हो गए।सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाए जाने के फैसले ने जनता, खासकर युवाओं को गहरे स्तर पर झकझोर दिया। स्थिति बिगड़ती देख सरकार ने देर रात सोशल मीडिया बैन हटा लिया, लेकिन तब तक काफी नुकसान हो चुका था।
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नेपाल के कृषि मंत्री ने भी दिया इस्तीफा
नेपाल में जारी विरोध प्रदर्शनों का असर राजनैतिक महकमे में खूब दिख रहा है. सोमवार को देश के गृहमंत्री के इस्तीफे के बाद अब सरकार के एक और मंत्री ने भी इस्तीफा दे दिया है. नेपाल के कृषि मंत्री रामनाथ अधिकारी ने भी अपना पद छोड़ दिया है.
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जांच के लिए बनी समिति, पीएम ओली ने जताया दुख
प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने घटना पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि कुछ असामाजिक तत्वों ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन को हिंसा में बदल दिया। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया बंद करने का मकसद उसे नियंत्रित करना था, रोकना नहीं। सरकार ने इस घटना की जांच के लिए 15 दिन में रिपोर्ट देने वाली जांच समिति गठित कर दी है।
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गृह मंत्री ने दिया इस्तीफा

हिंसा की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए गृह मंत्री रमेश लेखक ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। हालांकि, सूचना मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग ने स्पष्ट किया कि प्रधानमंत्री ओली इस्तीफा नहीं देंगे। साथ ही सरकार ने मृतकों के परिवारों को मुआवजा और घायलों के नि:शुल्क इलाज का एलान किया है।
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सेना तैनात, कई शहरों में कर्फ्यू, सभाओं पर पाबंदी
जब राजधानी में हालात बिगड़ने लगे, तो सरकार ने सेना को तैनात कर संसद भवन और उसके आसपास की सुरक्षा अपने हाथ में ले ली। साथ ही काठमांडू, पोखरा, ललितपुर, बुटवल और ईटहरी जैसे शहरों में कर्फ्यू लगा दिया गया है। किसी भी तरह की सभा, जुलूस या प्रदर्शन पर रोक लगा दी गई है।
प्रदर्शन की असल वजह क्या है?

प्रदर्शनकारी युवाओं का कहना है कि सोशल मीडिया बैन तो बस एक बहाना था, असली गुस्सा बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और आर्थिक संकट को लेकर है। सोशल मीडिया पर “#NepoKid” ट्रेंड कर नेताओं के बच्चों पर ऐश करने और आम जनता की बदहाली को उजागर किया गया। लोगों का कहना है कि सरकार आम आदमी के मुद्दों पर पूरी तरह फेल हो चुकी है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया: कई देशों ने की निंदा
संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार इकाई ने नेपाल की स्थिति पर गहरी चिंता जताई है और निष्पक्ष जांच की मांग की है। अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, जापान, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया जैसे देशों ने हिंसा की निंदा की है और मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की है।
सोशल मीडिया बैन क्यों लगाया गया था?
नेपाल सरकार ने तीन दिन पहले 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स (जैसे Facebook, Instagram, YouTube, WhatsApp, Reddit और X) पर बैन लगा दिया था। कारण बताया गया कि ये कंपनियां समय पर पंजीकरण नहीं करा पाईं। सरकार ने इसे नियंत्रणात्मक कदम बताया, लेकिन जनता ने इसे अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला बताया और इसका कड़ा विरोध किया।