Gen-Z Protest Nepal: नेपाल में हाल ही में हुए Gen-Z के हिंसक प्रदर्शन ने राजनीतिक और सामाजिक जगत में भारी हलचल मचा दी है। इस प्रदर्शन को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने पहली बार बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने कहा कि प्रदर्शन के दौरान उन्हें बताया गया था कि केवल रबर की गोलियां चलाई गई थीं, लेकिन बाद में उन्हें पता चला कि इस हिंसा में 14 लोग मारे गए हैं।
केपी ओली का बड़ा बयान
केपी शर्मा ओली ने शनिवार को एक सार्वजनिक मंच से मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, “जब मुझे बताया गया कि केवल रबर की गोलियां चलाई गई हैं, तो मैं मान लिया था। लेकिन बाद में जब मुझे पता चला कि 14 लोगों की मौत हो गई, तो मैं बहुत हैरान रह गया।” उन्होंने आगे कहा, “मैंने यह पूछना शुरू किया कि ये गोली कैसे लगी? कैसे किसी के सिर पर गोली लग सकती है?” पूर्व पीएम ने इस दौरान यह भी सवाल उठाए कि आखिर ऐसी हिंसा को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते थे। उन्होंने कहा कि यह स्थिति न केवल नेपाल के लिए बल्कि पूरे लोकतंत्र के लिए चिंताजनक है।
Gen-Z प्रदर्शन और राजनीतिक हलचल
नेपाल में Gen-Z के प्रदर्शन ने देश की राजनीतिक स्थिरता को झकझोर कर रख दिया है। ये प्रदर्शन मुख्यतः युवाओं के बीच रोजगार, शिक्षा और सरकार की नीतियों के खिलाफ उठाए गए विरोध के रूप में उभरे थे। शुरू में ये शांतिपूर्ण थे, लेकिन बाद में हिंसक रूप धारण कर लिया, जिसमें कई लोगों की जान गई।
केपी ओली के इस्तीफे के बाद यह पहला मौका था जब उन्होंने इन घटनाओं पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उनका कहना है कि सरकार को पहले ही स्थिति की गंभीरता को समझ कर प्रभावी कदम उठाने चाहिए थे ताकि इस तरह की हिंसा न हो।
मीडिया और जनता में प्रतिक्रिया
केपी ओली के इस बयान ने नेपाल की जनता और मीडिया में नई बहस छेड़ दी है। कई लोग उनके खुलासे को देश की वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों को समझने का एक महत्वपूर्ण कदम मान रहे हैं। वहीं, आलोचक कहते हैं कि ऐसा बयान देने में देर हो गई है और इससे सरकार की असफलता उजागर होती है।
नेपाल में राजनीतिक पार्टियां भी इस मुद्दे पर अलग-अलग रुख अपना रही हैं। कुछ पार्टियों ने प्रदर्शनकारियों के प्रति सहानुभूति जताई है, जबकि अन्य ने हिंसा की कड़ी निंदा की है।हालांकि अभी तक Gen-Z प्रदर्शन के कारण बने राजनीतिक संकट के समाधान के लिए कोई ठोस योजना सामने नहीं आई है, लेकिन केपी ओली के खुलासे के बाद देश में पुनः राजनीतिक संवाद की संभावना बढ़ गई है। विशेषज्ञ मानते हैं कि इस समय नेपाल को युवाओं की समस्याओं को गंभीरता से लेकर सभी पक्षों के बीच संवाद शुरू करने की आवश्यकता है।
