Netanyahu India Visit: “मैं जानता हूं ट्रंप को कैसे संभालना है, मोदी को गुप्त सलाह देना चाहता हूं।” इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के इस बयान ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक नई हलचल पैदा कर दी है। अमेरिका और भारत के बीच टैरिफ विवाद के बीच यह टिप्पणी न केवल कूटनीतिक संकेत देती है, बल्कि इस बात की ओर भी इशारा करती है कि नेतन्याहू जल्द ही भारत दौरे पर आ सकते हैं।
ट्रंप पर टैरिफ का वार, भारत पर दबाव
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा की है। इसके साथ ही अब भारतीय उत्पादों पर कुल 50% आयात शुल्क लगेगा। इसका कारण भारत द्वारा रूस से तेल खरीदना बताया गया है।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा-“हमारी ऊर्जा नीति 1.4 अरब लोगों की जरूरतों पर आधारित है। अमेरिका का यह फैसला अनुचित, अन्यायपूर्ण और अविवेकपूर्ण है। भारत अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करेगा।”
नेतन्याहू की एंट्री: दो दोस्तों के बीच ‘मध्यस्थ’?
ऐसे संवेदनशील समय में नेतन्याहू की यह बात कि “मैं मोदी को ट्रंप से निपटने की गुप्त सलाह देना चाहता हूं”, यह दर्शाती है कि इजरायली प्रधानमंत्री खुद को इस तनाव को कम करने में एक संभावित कूटनीतिक पुल के रूप में देख रहे हैं।
उन्होंने कहा, “ट्रंप और मोदी दोनों मेरे अच्छे दोस्त हैं। दोनों देशों के हित में है कि वे टैरिफ विवाद सुलझाएं।”
नेतन्याहू ने यह भी याद दिलाया कि ऑपरेशन वर्मिलियन में इजरायल द्वारा भारत को दिए गए सैन्य उपकरण पूरी तरह कारगर साबित हुए। यानी, उनके मुताबिक भारत और इजरायल की सैन्य साझेदारी पहले से ही मजबूत आधार पर है— और उसे राजनीतिक स्तर पर भी सहयोग की जरूरत है।
क्या भारत दौरे की तैयारी में हैं नेतन्याहू?
नेतन्याहू ने भारत आने की खुलकर इच्छा जताई है। यह दौरा न केवल भारत-अमेरिका विवाद के बीच एक मध्यस्थता प्रयास हो सकता है, बल्कि भारत-इजरायल संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में भी अहम साबित हो सकता है। उनके बयान ऐसे समय आए हैं जब भारत अमेरिकी टैरिफ के जवाब में काउंटर टैरिफ पर विचार कर रहा है और कई यूरोपीय व एशियाई देश इस तनाव को बारीकी से देख रहे हैं।
बेंजामिन नेतन्याहू की कूटनीतिक चाल को यूं ही नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। ट्रंप से ‘व्यक्तिगत समीकरण’ और मोदी से ‘रणनीतिक साझेदारी’ के बीच वे खुद को एक प्रभावशाली मध्यस्थ के तौर पर पेश कर रहे हैं। भारत दौरे की उनकी इच्छा, ट्रंप-भारत विवाद को कम करने की कोशिश, और इजरायली सैन्य समर्थन को दोहराना-ये सभी संकेत किसी बड़े राजनयिक घटनाक्रम की आहट हो सकते हैं। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि नेतन्याहू की यह गुप्त सलाह क्या रंग लाती है- और क्या वाकई वे भारत आते हैं।
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