New GST Rates: साल 2024 में हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक में पॉपकॉर्न पर लगने वाली जीएसटी दरों को लेकर बड़ा फैसला लिया गया। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्पष्ट किया कि अब पॉपकॉर्न के प्रकार के अनुसार अलग-अलग टैक्स दरें लागू की जाएंगी। सोशल मीडिया पर लंबे समय से इस विषय को लेकर बहस चल रही थी, विशेष रूप से यह सवाल उठ रहा था कि एक ही प्रकार के पॉपकॉर्न पर दो अलग-अलग टैक्स क्यों लगाए जा रहे हैं।
नमक वाला सादा पॉपकॉर्न

पहले क्या होता था?
अगर नमक वाला पॉपकॉर्न खुला बेचा जाता था, तो उस पर 5% टैक्स लगता था। लेकिन अगर वही पॉपकॉर्न पैक और लेबल के साथ बिकता, तो 12% टैक्स देना पड़ता था। इस दोहरी टैक्स व्यवस्था को लेकर उपभोक्ताओं और व्यापारियों में असमंजस की स्थिति बनी रहती थी। अब इस नई व्यवस्था से यह विवाद पूरी तरह खत्म हो गया है और उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी।
कैरेमल पॉपकॉर्न पर कोई बदलाव नहीं
जहां सादा पॉपकॉर्न पर टैक्स में कटौती की गई है, वहीं कैरेमल पॉपकॉर्न पर पहले की तरह ही 18% जीएसटी लागू रहेगा। कैरेमल पॉपकॉर्न में चीनी, मक्खन, फ्लेवर और अन्य मिठास मिलाने वाले तत्व अधिक मात्रा में होते हैं, इसलिए इसे प्रोसेस्ड फूड आइटम माना जाता है। इसीलिए इस पर उच्च श्रेणी का टैक्स लगाया गया है।
नई जीएसटी मीटिंग में और क्या हुआ?
3 सितंबर 2025 को जीएसटी काउंसिल की एक अहम बैठक हुई, जो 5 सितंबर तक चलेगी। इस बैठक में कई वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी दरों में कटौती का निर्णय लिया गया। साथ ही सरकार ने नई जीएसटी स्लैब प्रणाली की भी घोषणा की, जो अब तीन श्रेणियों में विभाजित हैं।
5% स्लैब – रोजमर्रा की जरूरी चीजों के लिए
18% स्लैब – सामान्य प्रोसेस्ड वस्तुओं और सेवाओं के लिए
40% स्लैब – लग्ज़री आइटम्स और सिगरेट-जैसी वस्तुओं के लिए
इस नई स्लैब प्रणाली से जीएसटी की जटिलता को कम करने की कोशिश की गई है और उपभोक्ताओं को कीमतों में पारदर्शिता मिलेगी।
आम आदमी को क्या मिलेगा फायदा?
नई व्यवस्था के लागू होने से खासतौर पर फूड इंडस्ट्री में काम कर रहे छोटे व्यापारियों को राहत मिलेगी। साथ ही, पॉपकॉर्न जैसी आम खपत वाली वस्तुओं पर एक समान और कम टैक्स से उपभोक्ताओं को भी सीधा फायदा होगा।
अब उपभोक्ता सादा पॉपकॉर्न कहीं से भी खरीदें, खुले में या पैक में, उन्हें सिर्फ 5% टैक्स ही देना होगा। वहीं, जो लोग फ्लेवर्ड या मीठे पॉपकॉर्न जैसे कैरेमल पॉपकॉर्न पसंद करते हैं, उनके लिए अभी भी 18% टैक्स जारी रहेगा।

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