Nimisha Priya Execution: भारतीय राज्य केरल की रहने वाली नर्स निमिषा प्रिया को यमन की एक अदालत ने 2017 में एक यमनी नागरिक तलाल अब्दो महदी की हत्या के मामले में फांसी की सजा सुनाई है। यह मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में है, जहां भारतीय नागरिक के खिलाफ विदेशी भूमि पर मौत की सजा ने कूटनीतिक और मानवाधिकार संबंधित चर्चाओं को जन्म दिया है।
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मृतक के भाई का पत्र
मामले में नया मोड़ उस समय आया जब मृतक यमनी नागरिक के भाई ने यमन के अटॉर्नी जनरल को एक पत्र भेजकर यह मांग की कि निमिषा प्रिया को जल्द से जल्द फांसी दी जाए।पत्र में साफ कहा गया है कि परिवार किसी प्रकार की माफी, सुलह या समझौते के लिए तैयार नहीं है और उन्हें इंसाफ चाहिए।
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फांसी पर रोक का अस्थायी फैसला
कुछ समय पहले, 16 जुलाई को निमिषा प्रिया को फांसी दी जानी थी, लेकिन भारत से गए एक मुस्लिम धर्मगुरु के हस्तक्षेप के बाद सजा पर अनिश्चितकालीन रोक लगा दी गई थी। इस कदम को एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा था कि शायद पीड़ित परिवार किसी तरह की सुलह को मान सकता है।लेकिन अब मृतक के परिवार के इस ताजा पत्र ने एक बार फिर मामले को उलझा दिया है और निमिषा की स्थिति को और गंभीर बना दिया है।
क्या है निमिषा प्रिया का पक्ष?
निमिषा प्रिया का दावा है कि उन्होंने आत्मरक्षा में हत्या की थी। रिपोर्ट्स के अनुसार, यमन में रहने के दौरान मृतक महदी ने उनके पासपोर्ट जब्त कर लिए थे और उन्हें प्रताड़ित किया जाता था। यह भी कहा गया कि निमिषा प्रिया यमन से वापस भारत लौटना चाहती थीं, लेकिन पासपोर्ट ना होने के कारण वह ऐसा नहीं कर पाईं।उनके परिजनों और कुछ सामाजिक संगठनों का कहना है कि निमिषा ने एक रासायनिक इंजेक्शन के माध्यम से तलाल महदी को बेहोश करने की कोशिश की थी, ताकि वह अपना पासपोर्ट वापस लेकर भाग सके, लेकिन मृतक की मौत हो गई।
भारत की भूमिका और कूटनीतिक प्रयास
भारत सरकार और कई सामाजिक कार्यकर्ता निमिषा प्रिया की सजा को माफ करवाने के लिए यमन सरकार से संपर्क में हैं। विदेश मंत्रालय लगातार स्थिति की निगरानी कर रहा है। भारत की ओर से यह भी प्रयास किए जा रहे हैं कि ‘ब्लड मनी’ (मुआवजा) देकर मृतक के परिवार से सुलह हो जाए, लेकिन अब उस परिवार ने स्पष्ट रूप से इससे इनकार कर दिया है।