Kerala Nipah Virus:केरल में एक बार फिर निपाह वायरस (Nipah Virus) का संक्रमण तेजी से फैलने लगा है। मलप्पुरम, पलक्कड़ और कोझिकोड जैसे जिलों में इस वायरस के मामलों में इजाफा देखने को मिला है। अब तक 425 से अधिक लोगों को निगरानी में रखा गया है। इन लोगों का संपर्क संक्रमित मरीजों से हुआ हो सकता है, इसलिए इन्हें आइसोलेशन में रखा गया है और टेस्टिंग की प्रक्रिया तेजी से की जा रही है।राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने जानकारी दी है कि इन 425 लोगों में मलप्पुरम जिले के 228, पलक्कड़ के 110, और कोझिकोड जिले के 87 लोग शामिल हैं। सरकार ने इन जिलों में हाई अलर्ट घोषित कर दिया है और स्वास्थ्यकर्मियों की टीमें लगातार निगरानी कर रही हैं।
निपाह वायरस क्या है?
निपाह वायरस एक ज़ूनोटिक वायरस है, यानी यह जानवरों से इंसानों में फैलता है। इसका पहला मामला 1998 में मलेशिया में सामने आया था। यह वायरस आमतौर पर चमगादड़ों के ज़रिए फैलता है, लेकिन संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से भी यह इंसानों में फैल सकता है।यह वायरस अत्यंत घातक है क्योंकि इसका मृत्यु दर (fatality rate) काफी अधिक होता है। संक्रमण के बाद कुछ ही दिनों में मरीज की हालत गंभीर हो सकती है।
निपाह वायरस के लक्षण
- निपाह वायरस से संक्रमित व्यक्ति में शुरुआत में सामान्य फ्लू जैसे लक्षण दिखाई देते हैं, लेकिन यह तेजी से गंभीर रूप ले सकते हैं। इसके प्रमुख लक्षण हैं:
- तेज़ बुखार
- सिर दर्द
- गले में खराश
- थकान और कमजोरी
- सांस लेने में तकलीफ
- मतली और उल्टी
- मानसिक भ्रम (confusion)
- कोमा में चले जाना (गंभीर मामलों में)
- अगर समय पर इलाज न मिले तो यह संक्रमण मस्तिष्क की सूजन (encephalitis) का कारण बन सकता है, जिससे मृत्यु भी हो सकती है।
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निपाह वायरस से बचाव के उपाय
- निपाह वायरस के लिए फिलहाल कोई विशेष वैक्सीन या इलाज नहीं है, इसलिए सावधानी ही सबसे बड़ा बचाव है। इससे बचने के कुछ जरूरी उपाय निम्नलिखित हैं:
- चमगादड़ों और संक्रमित जानवरों से दूरी बनाए रखें।
- गिरे हुए फल या चमगादड़ द्वारा खाए गए फल न खाएं।
- बीमार लोगों के संपर्क में आने से बचें, खासकर जिनमें उपरोक्त लक्षण हों।
- मास्क पहनें और नियमित रूप से हाथ धोते रहें।
- संक्रमित क्षेत्रों में अनावश्यक यात्रा से बचें।
- अगर लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
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सरकार की तैयारी और सतर्कता
राज्य सरकार ने ट्रैकिंग, टेस्टिंग और आइसोलेशन पर ज़ोर दिया है। स्वास्थ्य विभाग की टीमें संभावित संक्रमितों की पहचान कर उन्हें आइसोलेशन में भेज रही हैं। इसके साथ ही अस्पतालों में विशेष निगरानी वार्ड बनाए गए हैं।