Nirjala Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत को बेहद ही खास माना गया है जो कि हर माह में दो बार पड़ता है। ऐसे साल में कुल 24 एकादशी व्रत किए जाते हैं, जो कि भगवान विष्णु को समर्पित होती है। लेकिन इन सभी एकादशी में सबसे अधिक महत्वपूर्ण और कठिन निर्जला एकादशी व्रत है जो कि भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन भक्त भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं।

पंचांग के अनुसार निर्जला एकादशी का व्रत ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर किया जाता है। इस बार निर्जला एकादशी का व्रत 6 जून दिन शुक्रवार यानी आज मनाई जा रही है। ऐसे में हम आपको निर्जला एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा विधि बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
निर्जला एकादशी की पूजा विधि
आपको बता दें कि निर्जला एकादशी के दिन सुबह उठकर स्नान आदि करें इसके बाद साफ वस्त्रों को धारण करें। अब घर के पूजा स्थल को शुद्ध जल से साफ करें। इसके बाद व्रत का संकल्प करें और मन में भगवान विष्णु का ध्यान करें।
भगवान विष्णु का गंगाजल से अभिषेक करें। फिर उन्हें तुलसी दल, पुष्प, फल, चंदन और अक्षत अर्पित करें इसके बाद विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करें साथ ही घी का दीपक जलाकर भगवान की विधिवत आरती करें। व्रत के दौरान दिनभर भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें।
भगवान विष्णु का शक्तिशाली मंत्र
मम क्षेमस्थैर्यविजयारोग्यैश्वर्याभिवृद्ध्यर्थं
सर्वोपद्रवनिवारणार्थं च
श्रीविष्णोः प्रीत्यर्थं
निर्जला एकादशी व्रतमहं करिष्ये।
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।
ॐ विष्णवे नमः।
श्री हरि को तुलसी चढ़ाने का मंत्र
येन तुलसिदलं विष्णोः पूजायां विनियोज्यते।
तस्य पुण्यफलं ब्रूहि मम भक्त्याऽनुवृत्तये॥
विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र और ‘ॐ नमो नारायणाय’ का जप 108 बार करें।
एकादशी पूजा के दौरान भगवान विष्णु को सात्विक भोग अर्पित करें व्रती स्वयं व्रत के दौरान भोग का सेवन नहीं करना चाहिए केवल भगवान को अर्पित करें। इस दौरान निर्जला उपवास रखने वाले लोग भूलकर भी पानी पीने से बचें , वरना आपका व्रत पूर्ण नहीं माना जाएगा।

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