Nirmala Sitharaman on Rupee: वित्त मंत्री का बड़ा बयान, रुपये में गिरावट पर चिंता की कोई बात नहीं

क्या रुपये की ऐतिहासिक गिरावट थमने वाली है? गिरते रुपये के मूल्य पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अचानक कौन सा बड़ा और आत्मविश्वास से भरा बयान दिया है, जिससे विदेशी मुद्रा बाजार में खलबली मच गई, जानें उनके दावे के पीछे की आर्थिक रणनीति क्या है, पूरी खबर!

Chandan Das
Nirmala Sitharaman on Rupee
Nirmala Sitharaman on Rupee

Nirmala Sitharaman on Rupee: भारतीय करेंसी रुपये ने हाल ही में डॉलर के मुकाबले 90 के स्तर को पार कर ऑल-टाइम लो पर पहुंच गया है। बुधवार को रुपए की गिरावट ने बाजार में चिंता पैदा कर दी। विशेषज्ञों का कहना है कि इस गिरावट का मुख्य कारण डॉलर की बढ़ती मांग है। इसके अलावा विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली, भू-राजनीतिक अनिश्चितता और भारत-अमेरिका के बीच ट्रेड डील पर रुकी हुई बातचीत भी रुपये की कमजोरी के पीछे जिम्मेदार मानी जा रही हैं।

Nirmala Sitharaman on Rupee : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बयान

रुपये में आई गिरावट को लेकर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बयान दिया है। उन्होंने कहा कि भारत के मजबूत ग्रोथ आउटलुक के बीच भारतीय करेंसी अपना रास्ता खुद खोज लेगी। वित्त मंत्री ने HTLS के 23वें संस्करण में कहा, “रुपये को अपना रास्ता खुद ढूंढ़ना होगा।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि करेंसी की स्थिति पर बहस करते समय मौजूदा आर्थिक हकीकत को ध्यान में रखा जाना चाहिए, न कि केवल पिछली स्थितियों से तुलना की जानी चाहिए।

Nirmala Sitharaman on Rupee: करेंसी बहस में मौजूदा आर्थिक हकीकत

निर्मला सीतारमण ने कहा, “इकॉनमी के फंडामेंटल्स को देखें, ग्रोथ को देखें। करेंसी पर बहस को मौजूदा हकीकत के हिसाब से तय किया जाना चाहिए, न कि पिछली परिस्थितियों के आधार पर।” उनका मानना है कि केवल एक्सचेंज रेट को लेकर चर्चा करना पर्याप्त नहीं है, बल्कि अर्थव्यवस्था की समग्र स्थिति और मजबूती को भी ध्यान में रखना जरूरी है।

रुपया कमजोर होने के बावजूद अर्थव्यवस्था मजबूत

वित्त मंत्री ने आगे कहा कि जब करेंसी की वैल्यू कम होती है, तो इसके फायदे का लाभ एक्सपोर्टर्स को मिल सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिकी टैरिफ के समय कुछ राहत मिली थी, लेकिन वह इस स्पष्टीकरण से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं। साथ ही उन्होंने जोर दिया कि इकॉनमी की मजबूती का आकलन भी किया जाना चाहिए।

रुपये की गिरावट के कारण

4 दिसंबर को भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 90.46 तक गिर गया। इसकी मुख्य वजह भारत-अमेरिका ट्रेड डील में देरी और भारतीय शेयर बाजार से लगातार विदेशी पूंजी का निकलना बताया जा रहा है। यह गिरावट इसलिए भी अचरजजनक है क्योंकि रिटेल महंगाई रिकॉर्ड निचले स्तर पर है और GDP ग्रोथ 8 प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है।

अर्थव्यवस्था की उम्मीदें और ग्रोथ

दूसरी तिमाही में भारत की GDP ग्रोथ 8.2 प्रतिशत तक पहुंच गई, जो छह तिमाहियों में सबसे ऊंचा स्तर है। अक्टूबर में रिटेल महंगाई रिकॉर्ड 0.25 प्रतिशत पर थी। वित्त मंत्री का मानना है कि आने वाले समय में भारतीय अर्थव्यवस्था की ग्रोथ बनी रहेगी। उनका अनुमान है कि वित्त वर्ष 2025-26 (FY26) में भारत की ग्रोथ 7 प्रतिशत या उससे भी अधिक हो सकती है।

निर्मला सीतारमण ने कहा कि रुपये को अपना संतुलन खोजने दिया जाना चाहिए और आर्थिक नीतियों का आधार केवल मुद्रा की अस्थिरता नहीं होना चाहिए। भारतीय अर्थव्यवस्था के मजबूत फंडामेंटल्स और निरंतर विकास की दृष्टि से, वित्त मंत्री का मानना है कि रुपए की मजबूती आने वाले समय में लौटेगी और बाजार स्थिरता हासिल करेगा।

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