Bihar Election 2025: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने समस्तीपुर के सरायरंजन में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए राज्य के विकास और सामाजिक सद्भाव को अपनी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि बताया। उन्होंने जोर देकर कहा कि उनकी सरकार ने बिहार को भय और असुरक्षा के माहौल से निकालकर उम्मीद और प्रगति का प्रतीक बनाया है।
मुख्यमंत्री ने पुराने बिहार की स्थिति को याद करते हुए कहा कि पहले शाम होते ही लोग घर से निकलने से डरते थे। हिन्दू-मुस्लिम समुदायों के बीच झगड़े आम बात थे और शिक्षा का स्तर भी निराशाजनक था। उन्होंने दावा किया कि अब बिहार में विकास की एक नई कहानी लिखी जा रही है।
साम्प्रदायिक सद्भाव के लिए ‘कब्रिस्तान घेराबंदी’ की पहल
सामाजिक शांति बनाए रखने के लिए नीतीश कुमार ने अपनी सरकार द्वारा 2006 में शुरू की गई महत्वपूर्ण पहल का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि साम्प्रदायिक तनाव को रोकने के लिए कब्रिस्तानों की घेराबंदी करवाई गई। सीएम ने कहा, “2016 में हमने देखा कि हिंदू मंदिरों के आसपास भी गड़बड़ी होती थी, लेकिन तब से लेकर अब तक कोई गड़बड़ी नहीं हुई है।” इस पहल ने बिहार में सामाजिक शांति कायम करने में बड़ी मदद की है।
शिक्षा में क्रांति: पोशाक और साइकिल योजना
शिक्षा के क्षेत्र में अपनी उपलब्धियों को रेखांकित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि लड़कों और लड़कियों दोनों के लिए स्कूलों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि की गई है। उन्होंने पोशाक और साइकिल योजना जैसी पहलों का भी उल्लेख किया, जिसने बच्चों को, विशेषकर लड़कियों को, स्कूल आने-जाने के लिए प्रोत्साहित किया। उनके अनुसार, शिक्षा पर विशेष ध्यान देने से अब बिहार के बच्चे एक बेहतर भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं।
समावेशी विकास और प्रधानमंत्री मोदी का समर्थन
नीतीश कुमार ने मुस्लिम समुदाय के लिए किए गए कार्यों पर भी प्रकाश डाला और कहा कि 2025 के बजट में बिहार के मखाना बोर्ड समेत कई महत्वपूर्ण घोषणाएं की गई हैं, जो आर्थिक विकास में सहायक होंगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जिक्र करते हुए उन्होंने भरोसा दिलाया कि प्रधानमंत्री अक्सर बिहार आते हैं और लोगों की समस्याएं सुनते हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि 2024 में केंद्र में फिर से एनडीए की सरकार बनने पर बिहार को और भी बड़ी सौगातें मिलेंगी, जिससे राज्य का समग्र विकास और तेज होगा।
सरायरंजन की यह रैली बिहार सरकार की विकास, सामाजिक सद्भाव और शिक्षा सुधार के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाती है, जो आगामी चुनावों में निर्णायक कारक बन सकते हैं।
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