न शौचालय, न निकासी…विकास योजनाएं ठप! पात्रों को नहीं मिल रहा पैसा…भदवाना गांव में विकास की उम्मीदें टूटीं

Aanchal Singh
chaupal

Prime Chaupal: प्राइम टीवी ने मुहिम छेड़ी है जब तक गांवों के विकास के लिए भेजा गया हर एक पैसा पात्र लोगों तक नहीं पहुंचेगा, तब तक हम चैन से नहीं बैठेंगे। इसी मुहिम के तहत हमारी टीम उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के विकासखंड मलिहाबाद के गांव भदवाना पहुंची। उद्देश्य था जमीनी सच्चाई को कैमरे में कैद करना और उन आवाजों को उजागर करना जो अब तक अनसुनी रही हैं।

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गांव में कदम रखते ही मुसीबतों से हुआ सामना

गांव में कदम रखते ही मुसीबतों से हुआ सामना

बताते चले कि, गांव की सीमा में प्रवेश करते ही समस्याएं सामने दिखने लगी। रास्तों के किनारे नालियां कचरे से पूरी तरह जाम थीं। पूरे गांव में कूड़ा निस्तारण की कोई व्यवस्था नहीं थी. न कूड़ेदान, न कूड़ा गाड़ी। नतीजतन, ग्रामीण सड़कों पर ही कूड़े का ढेर लगाने को मजबूर हैं। स्वच्छ भारत की बात करने वाला तंत्र इस गांव में कहीं नजर नहीं आया।

हर घर में अलग-अलग संघर्ष की कहानी

हर घर में अलग-अलग संघर्ष की कहानी

जब टीम ने ग्रामीणों से बात की, तो हर चेहरा एक नई मुसीबत की कहानी कह रहा था। किसी को आवास योजना का लाभ नहीं मिला, तो कोई शौचालय जैसी बुनियादी सुविधा से वंचित था। गांव में गंदगी, जलभराव, और साफ-सफाई की व्यवस्था का पूर्ण अभाव दिखाई दिया।

सिस्टम की चुप्पी पर उठे सवाल

सिस्टम की चुप्पी पर उठे सवाल

सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि भदवाना गांव लखनऊ जैसे बड़े शहर के बेहद करीब होने के बावजूद भी यहां की समस्याएं कभी प्रशासनिक गलियारों तक नहीं पहुंचतीं। न जनप्रतिनिधि इस ओर ध्यान देते हैं, न अफसरों की निगाह पड़ती है। भ्रष्टाचार और लापरवाही की दीवारें गांव के विकास को रोक रही हैं।

शिकायतों में डूबा गांव, उम्मीद की तलाश में

शिकायतों में डूबा गांव, उम्मीद की तलाश में

Prime TV की टीम को निराश चेहरों और टूटी उम्मीदों के बीच से होकर लौटना पड़ा। गांववासियों की आंखों में अब भी एक उम्मीद है कि उनकी आवाज़ कोई सुनेगा। हमारा मकसद भी यही है—उन आवाजों को मंच देना जो वर्षों से दबाई जा रही हैं।

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