Nobel Prize 2025: फिजिक्स का नोबेल 2025 अमेरिका के 3 वैज्ञानिकों को मिला, क्वांटम कंप्यूटिंग पर रिसर्च को मिला सर्वोच्च सम्मान

Chandan Das
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Nobel Prize 2025: भौतिकी (Physics) का नोबेल पुरस्कार 2025 अमेरिका के तीन वैज्ञानिकों जॉन क्लार्क, माइकल डेवोरेट और जॉन मार्टिनिस को दिया गया है। ये पुरस्कार उन्हें क्वांटम कंप्यूटिंग के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया गया है। इस प्रतिष्ठित पुरस्कार की घोषणा मंगलवार को रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज द्वारा की गई।

क्वांटम टेक्नोलॉजी में क्रांतिकारी योगदान

तीनों वैज्ञानिकों ने मिलकर क्वांटम बिट्स (qubits) को स्टेबल और स्केलेबल बनाने के लिए तकनीक विकसित की, जो क्वांटम कंप्यूटर के व्यावहारिक उपयोग की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। इनके शोध ने नैनोटेक्नोलॉजी, साइबर सुरक्षा, और उच्च गति डेटा प्रोसेसिंग के क्षेत्र में नए द्वार खोल दिए हैं।

पुरस्कार राशि और सम्मान

नोबेल पुरस्कार के रूप में विजेताओं को 11 मिलियन स्वीडिश क्रोना (लगभग 10.3 करोड़ रुपये), एक स्वर्ण पदक और एक प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाएगा। आधिकारिक रूप से यह सम्मान उन्हें 10 दिसंबर को स्टॉकहोम में आयोजित एक विशेष समारोह में प्रदान किया जाएगा।

नोबेल कमेटी ने क्या कहा?

रॉयल स्वीडिश एकेडमी ने अपने आधिकारिक बयान में कहा,“इन वैज्ञानिकों का शोध आधुनिक कंप्यूटिंग के भविष्य को नया आकार दे रहा है। उनकी खोजें न केवल थ्योरी में बल्कि प्रैक्टिकल एप्लिकेशन में भी प्रभावी हैं।”

भारत से अब तक दो लोग जुड़े रहे नोबेल भौतिकी पुरस्कार से सी.वी. रमन (1930) – उन्होंने “रमन प्रभाव” की खोज के लिए यह पुरस्कार जीता था। एस. चंद्रशेखर (1983) – अमेरिका में कार्यरत भारतीय मूल के खगोलशास्त्री को “स्टार स्ट्रक्चर और इवोल्यूशन” पर उनके कार्य के लिए सम्मानित किया गया। इनके अलावा कई भारतीय मूल के वैज्ञानिक वैश्विक स्तर पर नोबेल रेस में रह चुके हैं, लेकिन अब तक भारत से जुड़े सिर्फ दो लोगों को ही यह सम्मान मिला है।

क्या है क्वांटम कंप्यूटिंग?

क्वांटम कंप्यूटर परंपरागत कंप्यूटरों की तुलना में कई गुना तेज होते हैं। ये “बिट्स” की बजाय “क्वांटम बिट्स” या “क्यूबिट्स” का उपयोग करते हैं, जो 0 और 1 दोनों को एक साथ स्टोर कर सकते हैं। इससे बड़ी मात्रा में डेटा का सुपरफास्ट प्रोसेसिंग संभव होती है। इस तकनीक का उपयोग भविष्य में मेडिकल रिसर्च, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और नेशनल सिक्योरिटी तक में होने की उम्मीद है।

फिजिक्स के नोबेल विजेताओं की इस तिकड़ी ने भविष्य की तकनीकों को आकार देने की दिशा में अहम योगदान दिया है। इनका शोध आने वाले दशकों में कंप्यूटिंग, संचार और रक्षा प्रणालियों को पूरी तरह बदल सकता है। भारत जैसे विकासशील देश के लिए भी यह शोध प्रेरणादायक है, खासकर जब देश क्वांटम मिशन की ओर कदम बढ़ा रहा है।

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