Noida STF Action: यूपी एसटीएफ नोएडा यूनिट ने मंगलवार को एक ऐसे संगठित अपराधी गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो CBI, ED, आयकर विभाग और अन्य जांच एजेंसियों के नाम पर बिल्डरों और व्यापारियों से करोड़ों की रंगदारी वसूल रहा था। यह गैंग पिछले तीन वर्षों से दिल्ली-एनसीआर में सक्रिय था और अब तक करीब 5 करोड़ रुपये की अवैध वसूली कर चुका है।
तीन शातिर गिरफ्तार, पत्रकारिता की आड़ में ब्लैकमेलिंग
गिरफ्तार आरोपियों की पहचान अंकुर गुप्ता, नरेंद्र धवन और हरनाम धवन के रूप में हुई है। तीनों दिल्ली के रहने वाले हैं। हरनाम धवन वर्ष 2021 में एक बलात्कार मामले में जेल जा चुका है। आरोपियों के पास से एसटीएफ ने 62,720 रुपये नकद, चार मोबाइल फोन, फर्जी आधार कार्ड, एक अमेरिकी डॉलर और 17 डाक रसीदें बरामद की हैं।
कैसे करते थे शिकार?
एसटीएफ नोएडा के एडिशनल एसपी राजकुमार मिश्रा ने बताया कि गिरोह का मास्टरमाइंड अंकुर गुप्ता है, जो पहले कपड़ों का कारोबारी था। घाटे और कर्ज में डूबने के बाद उसने आपराधिक रास्ता अपनाया और एक ऐसा तरीका खोजा जिससे बिना हथियार के बड़े व्यापारियों को डराया और वसूला जा सके।
जांच एजेंसियों और मीडिया का बनाते थे हथियार
गिरोह पहले ED, CBI, आयकर विभाग, GDA, RERA और EOW जैसी एजेंसियों में फर्जी शिकायतें दर्ज कराता, फिर इन शिकायतों को तथाकथित पत्रकारों के जरिए छोटे अखबारों और यूट्यूब चैनलों पर खबर बनवाकर कारोबारी को बदनाम करने की धमकी देता।
‘दिल्ली अपटूडेट’ चैनल की भूमिका
पुलिस जांच में सामने आया है कि आरोपी नरेंद्र धवन और उसका बेटा हरनाम ‘दिल्ली अपटूडेट’ नाम से एक यूट्यूब चैनल और अखबार चलाते थे। इसी प्लेटफॉर्म से वे फर्जी शिकायतों को मीडिया में दिखाकर दबाव बनाते और सोशल मीडिया पर बदनामी फैलाने की धमकी देते थे। इस गैंग ने नोएडा और गाजियाबाद के एक नामी बिल्डर से पहले 15 करोड़ रुपये की रंगदारी मांगी, बाद में रकम घटाकर 5 करोड़ कर दी गई। बिल्डर से अब तक 5 लाख रुपये की वसूली हो चुकी थी, बाकी रकम के लिए बार-बार दबाव बनाया जा रहा था।
किन बिल्डरों को बनाया निशाना?
एसटीएफ जांच में सामने आया है कि इस गैंग ने यूनिटी ग्रुप द अमैरिल्स (करोलबाग, दिल्ली), शिप्रा और साया बिल्डर्स (गाजियाबाद), हार्मनी प्रोजेक्ट (इंदिरापुरम) और केशवकुंज प्रोजेक्ट (ग्रेटर नोएडा) को निशाना बनाया था।CBI और ED जैसी प्रतिष्ठित एजेंसियों के नाम पर फर्जी शिकायतें कर कारोबारियों को ब्लैकमेल करना इस गिरोह का मुख्य तरीका था। यूपी एसटीएफ की इस कार्रवाई से न केवल बिल्डरों को राहत मिली है, बल्कि फर्जी पत्रकारिता और अपराध की गठजोड़ का एक बड़ा खुलासा भी हुआ है।
