Ambedkar Jayanti 2025 : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार, 14 अप्रैल 2025 को भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर (Ambedkar Jayanti 2025) की 134वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब के विचार और सिद्धांत आत्मनिर्भर और विकसित भारत के निर्माण को नई दिशा और मजबूती प्रदान करेंगे। पीएम मोदी ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा:“सभी देशवासियों की ओर से भारत रत्न पूज्य बाबासाहेब को उनकी जयंती पर कोटि-कोटि नमन। यह उन्हीं की प्रेरणा है कि आज देश सामाजिक न्याय के सपनों को साकार करने में समर्पित भाव से कार्यरत है।”प्रधानमंत्री ने यह भी दोहराया कि डॉ. अंबेडकर के आदर्श भारत के लोकतंत्र, सामाजिक समरसता और आर्थिक विकास के स्तंभ हैं। उनकी शिक्षा, समावेशिता और समानता की सोच आज भी देश के लिए प्रेरणास्त्रोत बनी हुई है।
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अंबेडकर ने दिया भारत को सबसे शक्तिशाली औज़ार – मल्लिकार्जुन खरगे
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी बाबा साहेब को नमन करते हुए कहा कि:“डॉ. अंबेडकर ने हमें न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व जैसे लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित संविधान दिया, जो आज भी सामाजिक न्याय और समावेशी विकास के लिए सबसे सशक्त उपकरण है।”उन्होंने कहा कि बाबा साहेब ने समावेशिता को राष्ट्र की प्रगति का मूल मंत्र माना और हर व्यक्ति के अधिकारों की रक्षा को सर्वोपरि रखा। खरगे ने यह भी कहा कि पार्टी बाबा साहेब के सामाजिक परिवर्तन और न्याय के विचारों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराती है।
अखिलेश यादव ने कहा – संविधान ही हमारी ढाल है
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने बाबा साहेब को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए ट्वीट में कहा:“बाबा साहेब की देन और धरोहर ‘संविधान और आरक्षण’ को बचाने के लिए पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) को एकजुट होकर संघर्ष करना होगा। संविधान ही हमारी संजीवनी और ढाल है। जब तक संविधान सुरक्षित रहेगा, तब तक हमारे अधिकार और स्वाभिमान भी सुरक्षित रहेंगे।”उन्होंने आगे कहा कि पीडीए की एकता ही संविधान और आरक्षण की सुरक्षा करेगी और यही एकजुटता देश के सुनहरे भविष्य की आधारशिला बनेगी।
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डॉ. अंबेडकर की विरासत बनी प्रेरणा
देशभर के लाखों लोग आज डॉ. अंबेडकर को याद कर रहे हैं, जिन्होंने अपने जीवन को सामाजिक भेदभाव, छुआछूत और असमानता के खिलाफ संघर्ष में समर्पित कर दिया। बाबा साहेब का जीवन आज भी करोड़ों भारतीयों के लिए प्रेरणास्त्रोत है।डॉ. अंबेडकर के विचार न केवल संविधान तक सीमित हैं, बल्कि वे शिक्षा, समान अवसर, महिला सशक्तिकरण और सामाजिक सुधारों के माध्यम से एक न्यायपूर्ण समाज की स्थापना के लिए आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने स्वतंत्रता के समय थे।