Amit Shah On New Criminal Bill: केन्द्रीय मंत्री अमित शाह ने कहा,भारतीय न्याय संहिता,भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम ये तीन नए कानून आपराधिक न्याय प्रणाली को बदल देंगे।उन्होंने कहा,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लाए गए तीन नए आपराधिक कानून न्यायिक प्रक्रिया को सस्ता और सुलभ बनाने के साथ सरल,सुसंगत और पारदर्शी भी बनाएंगे।तीन नए कानून-भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम हैं।
Read More: PM मोदी की 5 देशों की विदेश यात्रा क्यों है अहम? BRICS शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचेंगे Brazil
3 नए आपराधिक कानून लागू होने का एक वर्ष पूर्ण
तीन नए आपराधिक कानून लागू होने के एक वर्ष पूरा होने पर नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में केंद्रीय गृह मंत्री ने अपने संबोधन में कहा,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सामाजिक,आर्थिक और राजनीतिक न्याय पर आधारित शासन का स्वर्णिम युग शुरू होने वाला है।आने वाले दिनों में देश की आपराधिक न्याय प्रणाली एक नए युग में प्रवेश करेगी,जिससे लोगों में न्याय शीघ्रता से मिलने का विश्वास पैदा होगा।
FIR दर्ज करने से तत्काल न्याय मिलने का विश्वास
गृह मंत्री ने कहा कि,नए कानून में प्राथमिकी दर्ज करने पर क्या होगा’ के डर को ‘एफआईआर दर्ज करने से तत्काल न्याय मिलेगा के विश्वास में बदल देंगे।नए आपराधिक कानून आने वाले दिनों में भारतीय आपराधिक न्याय प्रणाली को मौलिक रूप से बदल देंगे।लगभग तीन वर्षों में इन कानूनों के पूर्ण कार्यान्वयन के बाद,देश में प्राथमिकी दर्ज करने से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक न्याय दिया जाएगा।ये कानून नागरिकों को न्याय दिलाने के लिए जिम्मेदार तीन प्रमुख स्तंभों।अर्थात पुलिस, अभियोजन और न्यायपालिका पर कड़ी समयसीमा लागू करते हैं।नए कानून 90 दिनों में जांच पूरी करने की समयसीमा तय करते हैं।
भारतीय दंड संहिता की जगह ‘भारतीय न्याय संहिता 2023’
गृह मंत्री ने अपने संबोधन में आगे कहा कि,अब भारतीय दंड संहिता की जगह भारतीय न्याय संहिता 2023,सीआरपीसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 आने से पता चलता है कि….इन कानूनों का लक्ष्य सजा नहीं बल्कि न्याय है।उन्होंने कहा,11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में ई-साक्ष्य और ई-समन की अधिसूचना जारी की गई है जबकि 6 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में न्याय श्रुति को अधिसूचित किया गया है।