Operation Sindoor: 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई। इस कायराना हरकत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने आतंक के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई का संकेत दे दिया था। पीएम मोदी ने हमले के एक दिन बाद ही बिहार की धरती से साफ कर दिया था कि भारत इस हमले का करारा जवाब देगा।
भारत की रणनीतिक कार्रवाई: ऑपरेशन सिंदूर
बताते चले कि, 7 मई 2025 को भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पीओके में स्थित 9 आतंकी ठिकानों पर सटीक हमला किया। इस सैन्य कार्रवाई में बहावलपुर, कोटली, गुलपुर, सरजाल, महमूना समेत कुल 9 आतंकी अड्डों को निशाना बनाया गया। इनमें से चार पाकिस्तान के अंदर और पांच पीओके में स्थित थे।
मरकज सुभान अल्लाह: जैश का गढ़ बना मुख्य निशाना
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि, पाकिस्तान के बहावलपुर में स्थित ‘मरकज सुभान अल्लाह’ जैश-ए-मोहम्मद का प्रमुख प्रशिक्षण और प्रचार केंद्र है। 15 एकड़ में फैला यह अड्डा जैश की आतंकी गतिविधियों का मुख्यालय है। यहीं से 2019 के पुलवामा हमले की योजना बनी थी। इस केंद्र में 600 से अधिक आतंकी प्रशिक्षण प्राप्त करते थे।
हमले में शामिल हथियार और तकनीक
ऑपरेशन में राफेल जेट्स से स्कैल्प मिसाइलें दागी गईं, जिनकी रेंज 250 से 560 किमी है। इसके अलावा, ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल, हैमर मिसाइल, SPICE 2000 और Popeye बमों का भी इस्तेमाल हुआ। हेरॉन ड्रोन के जरिए माइक्रो-म्यूनिशन्स का प्रयोग किया गया ताकि गहराई में छिपे ठिकानों को भी समाप्त किया जा सके।
आतंकी ढांचा पूरी तरह तबाह
सैटेलाइट इमेज और स्थानीय सूत्रों के अनुसार, मरकज सुभान अल्लाह का जिम, स्विमिंग पूल, हथियार डिपो और प्रशिक्षण कैंप पूरी तरह नष्ट हो गए। शुरुआती रिपोर्टों में 200 से 300 आतंकियों के मारे जाने की आशंका जताई जा रही है, जिनमें जैश के प्रमुख नेता मुफ्ती अब्दुल रऊफ असगर और यूसुफ अजहर भी हो सकते हैं।
पाकिस्तान सरकार की प्रतिक्रिया
हमले के बाद पाकिस्तान ने हमेशा की तरह किसी बड़े नुकसान से इनकार किया। पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर ने दावा किया कि भारत का हमला नाकाम रहा, लेकिन जमीनी रिपोर्टों और इंटेलिजेंस से उलट तस्वीर सामने आई है। 2019 के बालाकोट हमले की तरह इस बार भी पाकिस्तान की जवाबी कार्रवाई की आशंका है। जैश जैसे आतंकी संगठन अब TRF जैसे नए नामों से फिर सक्रिय हो सकते हैं। भारत को अब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी सैन्य कार्रवाई को सही ठहराने के लिए कूटनीतिक मोर्चा भी संभालना होगा। साथ ही, कश्मीर में आतंकी हरकतें भी बढ़ सकती हैं, जिससे भारत को सतर्क रहना होगा।
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