Operation Sindoor Debate: राज्यसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर तीखी बहस जारी है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने केंद्र की मोदी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि जब से बीजेपी सत्ता में आई है, तब से केवल पहलगाम में पांच बार आतंकी हमले हो चुके हैं। उन्होंने पूछा कि सरकार ने इससे क्या सबक लिया और क्या सुधार किए। उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह से पूछा कि आखिर इसके लिए जिम्मेदार कौन है? यदि वे जवाब नहीं दे सकते, तो उन्हें अपनी कुर्सी छोड़ देनी चाहिए।
खड़गे का सवाल– 100 दिन बीत गए, बाकी आतंकवादी कहां हैं?
खड़गे ने पहलगाम हमले के 100 दिन पूरे होने के बाद भी कई आतंकियों के फरार होने पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि अब तक केवल तीन आतंकियों को मारा गया है, जबकि बाकी कहां हैं, इसका कोई जवाब नहीं है। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने खुद स्वीकार किया था कि यह हमला सुरक्षा व्यवस्था की विफलता का परिणाम था।
राजनाथ सिंह का पलटवार– सुरक्षा बलों ने बहादुरी से दिया जवाब
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सरकार की ओर से जवाब देते हुए कहा कि सुरक्षा बलों ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हमले के पीछे रहे ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ के तीन आतंकियों को मार गिराया। उन्होंने भारतीय सेना और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के शौर्य की सराहना करते हुए कहा कि भारत की सुरक्षा सुनिश्चित करने में उनकी भूमिका अविस्मरणीय है। उन्होंने कहा, “आतंकवाद के खिलाफ भारत किसी भी हद तक जाने को तैयार है।”
खड़गे का पलटवार– शाह जिम्मेदार, कुर्सी छोड़ें
खड़गे ने दोहराया कि इस हमले की जिम्मेदारी गृहमंत्री अमित शाह को लेनी चाहिए। उन्होंने कहा, “हर बार कांग्रेस पर उंगली उठाना बंद कीजिए। आप हमारे नाम पर कब तक राजनीति करते रहेंगे?” खड़गे ने कहा कि इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान को दो टुकड़ों में बांटकर बांग्लादेश को आजादी दिलाई थी।
कांग्रेस का सवाल– क्या एलजी ने गृहमंत्री को बचाने के लिए दिया बयान?
खड़गे ने यह सवाल भी उठाया कि क्या एलजी मनोज सिन्हा ने यह बयान गृहमंत्री को बचाने के लिए दिया था या फिर शाह ने खुद उन्हें यह बयान देने को कहा? उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ नेता संसद में भी उसी तरह की भाषा का प्रयोग करते हैं जैसी वे सार्वजनिक मंचों पर करते हैं।
कांग्रेस ने सेना को दी श्रद्धांजलि, निकाली जय हिंद यात्रा
खड़गे ने साफ किया कि कांग्रेस पार्टी सेना के पराक्रम और बलिदान का सम्मान करती है। उन्होंने कहा कि पार्टी ने सेना के समर्थन में पूरे देश में ‘जय हिंद यात्रा’ निकाली और एकजुटता दिखाने का प्रयास किया। उन्होंने 7 मई को हुई CWC बैठक का हवाला देते हुए कहा कि कांग्रेस ने प्रस्ताव पास कर कहा था कि यह राजनीति करने का समय नहीं है, बल्कि एकता का परिचय देने का समय है।
खड़गे का आरोप
खड़गे ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि एक बीजेपी सांसद ने यह कह दिया कि पहलगाम हमले में शहीद हुई महिलाओं में “वीरांगना जैसी भावना” नहीं थी। खड़गे ने इसे बेहद अपमानजनक बताते हुए कहा कि ऐसी मानसिकता रखने वाले लोगों को पार्टी से बाहर निकालना चाहिए। खड़गे ने मध्यप्रदेश के एक नेता का बयान उद्धृत करते हुए कहा कि ऐसे बयान संसद और समाज दोनों का अपमान हैं। उन्होंने कहा कि अगर विपक्ष की तरफ से ऐसा बयान आता तो उन्हें ‘देशद्रोही’ कह दिया जाता। खड़गे ने सवाल उठाया कि भाजपा अध्यक्ष जे. पी. नड्डा क्या ऐसे नेताओं को पार्टी से बाहर निकालेंगे?
खड़गे का सवाल– सोशल मीडिया ट्रोलिंग पर सरकार चुप क्यों?
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि शहीद विनय नरवाल की पत्नी और एक वरिष्ठ विदेश अधिकारी को सोशल मीडिया पर अपमानित किया गया, लेकिन सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने पूछा कि जब खुद की पार्टी के नेता सेना का अपमान करते हैं, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुप क्यों रहते हैं? खड़गे ने सरकार पर आरोप लगाया कि ऑपरेशन सिंदूर का राजनीतिकरण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हर बयान में सरकार विपक्ष को दोषी ठहराने की कोशिश करती है ताकि अपनी विफलता को छिपाया जा सके। खड़गे ने कहा, “हम देश को बचाने के लिए लड़ते रहे हैं, आप लोग तो केवल बातें करते हैं।”
ट्रंप के दावे पर भी कांग्रेस का सवाल
सीजफायर की घोषणा पर सवाल उठाते हुए खड़गे ने कहा कि यह फैसला पीएम मोदी, रक्षा मंत्री या विदेश मंत्री ने नहीं, बल्कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने किया। उन्होंने दावा किया कि ट्रंप ने खुद कई बार कहा कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध को रोकवाया। खड़गे ने व्यंग्य करते हुए कहा कि उनके भाषण के अंत तक ट्रंप यह बात 30वीं बार कह चुके होंगे।
राज्यसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर हुई बहस में विपक्ष और सरकार आमने-सामने दिखाई दिए। खड़गे ने जहां सरकार की नीति, गृहमंत्री की भूमिका और सीजफायर की प्रक्रिया पर सवाल उठाए, वहीं रक्षा मंत्री ने सेना की कार्रवाई को उचित ठहराया। संसद में यह बहस अब राष्ट्रीय सुरक्षा और राजनीतिक जवाबदेही के बड़े मुद्दे में तब्दील हो चुकी है।

