Operation Sindoor: भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जरिए पाकिस्तान में छिपे आतंकियों पर करारा प्रहार करते हुए 100 से अधिक आतंकवादियों को ढेर किया। यह सैन्य अभियान भारत की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति का स्पष्ट संकेत है। अब भारत ने कूटनीतिक मोर्चे पर भी पाकिस्तान को घेरने की तैयारी कर ली है। इस नई रणनीति का नाम है ‘प्लान पाक बेनकाब’, जिसके तहत भारत पाकिस्तान को वैश्विक मंचों पर आतंकवाद के संरक्षक के रूप में उजागर करेगा।
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क्या है ‘प्लान पाक बेनकाब’?

मोदी सरकार ने एक बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल का गठन किया है, जिसमें सिर्फ सत्तारूढ़ बीजेपी के सांसद ही नहीं, बल्कि विपक्षी दलों के प्रभावशाली नेताओं को भी जिम्मेदारी दी गई है। ये प्रतिनिधिमंडल अलग-अलग देशों में जाकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को समर्थन देने के सबूत और तर्क प्रस्तुत करेगा। इस पहल का मकसद है पाकिस्तान के प्रति वैश्विक दृष्टिकोण को कठोर बनाना और उसे वैश्विक स्तर पर अलग-थलग करना।
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क्यों चुना शशि थरूर को?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अक्सर ऐसे फैसले लेते हैं जो चौंकाते हैं, लेकिन रणनीतिक दृष्टि से बेहद मजबूत होते हैं। इस बार उन्होंने कांग्रेस नेता और वरिष्ठ सांसद डॉ. शशि थरूर को डेलिगेशन में शामिल कर एक बड़ा दांव खेला है।
थरूर को शामिल करने के पीछे कई कारण
- संयुक्त राष्ट्र में गहरा अनुभव: थरूर लंबे समय तक संयुक्त राष्ट्र में उच्च पदों पर काम कर चुके हैं।
- कूटनीति के जानकार: वे कूटनीतिक संवाद और अंतरराष्ट्रीय संबंधों की बारीक समझ रखते हैं।
- UN महासचिव पद की रेस का हिस्सा: 2006 में वे कोफी अन्नान के बाद महासचिव की रेस में भी थे।
- अंतरराष्ट्रीय छवि: उनकी विश्व स्तर पर एक शिक्षित, सुलझे हुए और तार्किक नेता की छवि है।
- पार्टी लाइन से ऊपर उठकर सोचने की क्षमता: कई बार थरूर ने पीएम मोदी की विदेश नीति की तारीफ की है।
पहले से समर्थन में

शशि थरूर ऑपरेशन सिंदूर के शुरुआत से ही समर्थक रहे हैं। उन्होंने इस मिशन के बाद कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय चैनलों पर भारत का पक्ष मजबूती से रखा। उनका यह रुख दिखाता है कि जब बात राष्ट्रहित की होती है, तो वे पार्टी की सीमाओं से ऊपर उठकर खड़े होते हैं।
डेलिगेशन में विपक्ष की भागीदारी
मोदी सरकार द्वारा थरूर जैसे विपक्षी सांसद को प्रतिनिधिमंडल में शामिल करना यह दर्शाता है कि यह लड़ाई किसी एक दल की नहीं, पूरे देश की है। यह एकजुटता वैश्विक मंचों पर भारत को अधिक विश्वसनीय और संगठित देश के रूप में प्रस्तुत करती है।

