Operation Sindoor : संसद का मानसून सत्र इस समय चरम पर है और आज सत्र का छठा दिन है। इस दिन को खास बनाता है लोकसभा में होने वाली एक महत्वपूर्ण चर्चा – पहलगाम आतंकी हमला और उससे जुड़े ऑपरेशन सिंदूर पर केंद्रित यह बहस पूरे 16 घंटे चलेगी। लेकिन इससे पहले ही संसद में जोरदार हंगामा हो गया, जिसके चलते स्पीकर ने कार्यवाही दोपहर 1 बजे तक स्थगित कर दी।
विपक्ष के पास भी है मजबूत लाइनअप
ऑपरेशन सिंदूर पर बहस के लिए विपक्ष की तरफ से कांग्रेस की प्रियंका गांधी वाड्रा एक प्रमुख वक्ता होंगी। उनसे पहले चर्चा की शुरुआत कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई करेंगे। इनके साथ-साथ कांग्रेस के दीपेंद्र हुड्डा, परिणीत शिंदे, सप्तगिरी उलाका और बिजेंद्र एस. ओला भी अपनी बात रखेंगे। विपक्षी गठबंधन की बात करें तो समाजवादी पार्टी (सपा) से रमाशंकर राजभर और छोटेलाल, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा – शरद पवार गुट) से अमर काले और सुप्रिया सुले, तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) से लावु श्रीकृष्ण और हरीश बालयोगी चर्चा में हिस्सा लेंगे। तृणमूल कांग्रेस (AITC) से कल्याण बनर्जी और सयोनी घोष, केरल कांग्रेस से फ्रांसिस जॉर्ज के.सी., जबकि डीएमके से ए. राजा और कनिमोझी भी शामिल रहेंगे।
सरकार की तरफ से राजनाथ सिंह की अगुवाई
सरकार की तरफ से चर्चा की शुरुआत रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह करेंगे। इसके बाद भाजपा के तेजस्वी सूर्या, बैजयंत पांडा, संजय जयसवाल, अनुराग ठाकुर और कमलजीत सहरावत भी विपक्ष के आरोपों का जवाब देंगे। शाम 7:30 बजे विदेश मंत्री एस. जयशंकर चर्चा में जुड़ेंगे और भारत की विदेश नीति और सुरक्षा पर सरकार का नजरिया सामने रखेंगे। वहीं, मंगलवार को गृह मंत्री अमित शाह भी ऑपरेशन सिंदूर पर लोकसभा में बयान दे सकते हैं। चर्चा का समापन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संबोधन से हो सकता है, जो इस विषय पर सरकार की अंतिम और निर्णायक प्रतिक्रिया होगी।
संसद में सुरक्षा और राजनीति की जंग
ऑपरेशन का बचाव करेगी, वहीं विपक्ष इसे लेकर सवाल उठाएगा कि आखिर इस आतंकी हमले तक की नौबत क्यों आई और खुफिया तंत्र ने क्या भूमिका निभाई। प्रियंका गांधी जैसे नेताओं की भागीदारी से यह बहस और भी तीखी हो सकती है।
सिर्फ ऑपरेशन नहीं, राजनीति भी होगी केंद्र में साफ है कि इस बहस में केवल ऑपरेशन सिंदूर या पहलगाम हमला नहीं, बल्कि पूरे देश की सुरक्षा नीति और राजनीतिक जवाबदेही भी केंद्र में होगी। सभी की नजरें इस बहस पर टिकी हैं, खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संभावित संबोधन पर।
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