BJP EC Allegation : मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार द्वारा रविवार को विपक्ष के ‘वोट चोरी’ और बिहार में SIR (Systematic Voter Roll Purification and Authentication) से जुड़े आरोपों पर दिए गए जवाब के बाद विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग पर तीखा हमला बोला है। कांग्रेस नेताओं पवन खेड़ा और जयराम रमेश ने प्रेस कॉन्फ्रेंस को “पक्षपाती” बताते हुए सवाल उठाए कि CEC ने विपक्ष के मुख्य सवालों से बचने की कोशिश की।
“बीजेपी नेता लग रहे थे ज्ञानेश कुमार”
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर तंज कसते हुए कहा, “अगर आंख बंद करके कोई सुन रहा होता तो ऐसा लग रहा था जैसे कोई बीजेपी का नेता बोल रहा हो।” उन्होंने कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त ने महादेवपुरा में उजागर किए गए 1 लाख संदिग्ध वोटरों पर कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं दी।
खेड़ा ने सीसीटीवी फुटेज पर उठे सवालों को लेकर पूछा, देना निजता का उल्लंघन है तो फिर 45 दिन तक रिकॉर्डिंग का क्या मतलब? आयोग फुटेज बनाता ही क्यों है?” उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष को डिजिटल वोटर लिस्ट नहीं दी जा रही, जबकि बीजेपी नेता अनुराग ठाकुर के पास वही लिस्ट कैसे पहुंची?
“लोकतंत्र की संस्था नहीं…” – जयराम रमेश
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने भी सोशल मीडिया के ज़रिए चुनाव आयोग पर हमला बोला। उन्होंने कहा, “CEC की यह पहली सार्वजनिक प्रेस कॉन्फ्रेंस थी, लेकिन इसमें कोई भी महत्वपूर्ण सवाल का जवाब नहीं दिया गया।” रमेश ने यह भी जोड़ा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा SIR प्रक्रिया में हटाए गए 65 लाख मतदाताओं की जानकारी सार्वजनिक करने के आदेश के बाद यह प्रेस कॉन्फ्रेंस विपक्ष को डराने की कोशिश थी।
उन्होंने कहा, “राहुल गांधी की मतदाता अधिकार यात्रा के ठीक बाद यह बयान आना बताता है कि आयोग सत्ता पक्ष के दबाव में काम कर रहा है। आयोग, संविधान की गरिमा को बचाने में विफल रहा है।”
“संविधान के नाम पर उसकी धज्जियां न उड़ाएं” -मनोज झा
राजद सांसद मनोज झा ने कहा, “चुनाव आयोग संविधान से जन्मी संस्था है, संविधान नहीं। प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसी भी ज्वलंत मुद्दे का जवाब नहीं दिया गया। अगर आज सुकुमार सेन (भारत के पहले CEC) होते, तो शायद इस स्थिति पर दुखी होते।”
“नियुक्ति प्रक्रिया पर भी सवाल” -वामदल
सीपीआई (एम) सांसद वी. शिवदासन ने कहा, “आज का चुनाव आयोग स्वतंत्र संस्था नहीं लगती। नियुक्ति प्रक्रिया में प्रधानमंत्री का सीधा हस्तक्षेप संस्था की पवित्रता को खत्म कर रहा है।”
CEC ज्ञानेश कुमार की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद विपक्षी दलों की तीखी प्रतिक्रिया बताती है कि मतदाता सूची में कथित गड़बड़ियों और पारदर्शिता की कमी को लेकर राजनीतिक असंतोष गहराता जा रहा है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग से डिजिटल वोटर लिस्ट, SIR डेटा और सीसीटीवी फुटेज की मांग दोहराई है। ऐसे में आयोग की निष्पक्षता और स्वतंत्रता पर सवाल उठना तय है।
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