India Pakistan Tension: पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने फिर उगला जहर, “जंग हुई तो भारत अपने फाइटर जेट्स के मलबे में दब जाएगा”

Chandan Das
Paki

India Pakistan Tension: पाकिस्तान के रक्षामंत्री ख्वाजा आसिफ ने रविवार को सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X पर एक तीखा बयान जारी करते हुए कहा कि अगर इस बार जंग छिड़ी तो “भारत अपने ही लड़ाकू विमानों के मलबे के नीचे दब जाएगा”। आसिफ ने भारतीय नेतृत्व पर आरोप लगाया कि वे अपनी खोई हुई विश्वसनीयता वापस पाने के लिए भड़काऊ बयान दे रहे हैं और जानबूझकर तनाव बढ़ा रहे हैं ताकि नागरिकों का ध्यान घरेलू चुनौतियों से भटकाया जा सके।

 पाक सेना की चेतावनी भी उभरी

यह बयान उस समय आया जब पाकिस्तान सेना ने शनिवार रात आधिकारिक बयान में कहा था कि यदि दोनों देशों के बीच युद्ध बरपा हुआ तो तबाही होगी और पाकिस्तान पीछे नहीं हटेगा। सेना के मीडिया विंग ISPR ने भी कई भारतीय सैन्य व राजनैतिक बयानों को “गैर-जिम्मेदाराना” बताते हुए कहा कि ये बयान जंग को भड़काने की कोशिश हैं।

ISPR ने विशेष रूप से भारतीय सेना प्रमुख के हालिया शब्दों पर भी तीखा हमला किया। शुक्रवार को भारतीय सेना प्रमुख उपेंद्र द्विवेदी द्वारा यह कहा गया था कि पाकिस्तान को सोचने की जरूरत है कि उसे नक्शे पर रहना है या नहीं — इस बयान के बाद दोनों तरफ से जुबानी तीखापन बढ़ा है। पाकिस्तान ने कहा कि यदि ऐसे हालात बने तो दोनों देशों को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।

राजनीतिक और सुरक्षा संदर्भ

ख्वाजा आसिफ ने अपने संदेश में इंगित किया कि तनाव बढ़ाने के पीछे नई दिल्ली की मंशा घरेलू राजनीतिक लाभ भी हो सकती है। उनके इस आरोप ने क्षेत्रीय राजनीतिक व कूटनीतिक माहौल को और जटिल बना दिया है। विश्लेषकों का मानना है कि दोनों पक्षों की टिप्पणी से सीमा पर तनाव बढऩे का खतरा है और कूटनीतिक चैनलों से स्थिति को नियंत्रित करना आवश्यक है।

आगे की राह और संभावित परिणाम

हालांकि अभी तक दोनों देशों द्वारा किसी भी तरह की सैन्य कार्रवाई की पुष्टि नहीं की गई है, पर अभी से ही अंतरराष्ट्रीय समुदाय और क्षेत्रीय सुरक्षा विशेषज्ञ इस पर चिंता जता चुके हैं। कूटनीतिक रूप से शीत युद्ध जैसी बयानबाजी को भरपूर आलोचना और परामर्श का सामना करना पड़ सकता है। दोनों देशों को तनाव कम करने के लिए संवाद और पारंपरिक शांति मंचों का सहारा लेना होगा।पाकिस्तान के रक्षामंत्री ख्वाजा आसिफ और सेना की चेतावनियों के बाद क्षेत्रीय सुरक्षा पर नए सिरे से सवाल उठ खड़े हुए हैं। दोनों पक्षों की तीखी बातों के बीच कूटनीतिक संवाद की आवश्यकता बढ़ गई है ताकि संभावित सैन्य बढ़त को कूटनीतिक और शांतिपूर्ण तरीके से नियंत्रित किया जा सके।

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