Palestine State :संयुक्त राष्ट्र महासभा में शुक्रवार को एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए फिलिस्तीन को पूर्ण राष्ट्र का दर्जा देने संबंधी प्रस्ताव पारित हुआ। इस प्रस्ताव के पक्ष में 142 देशों ने वोट दिया, जिनमें भारत ने भी समर्थन दिया। प्रस्ताव के खिलाफ 10 देशों ने वोट किया, जबकि 12 देश मतदान से अनुपस्थित रहे।
भारत ने फिलिस्तीन के पक्ष में खड़ा होकर दिखाई रणनीतिक संतुलन
भारत ने इस मुद्दे पर संतुलित लेकिन साहसी रुख अपनाते हुए फिलिस्तीन के पक्ष में मतदान किया। यह कदम भारत की उस पुरानी नीति के अनुरूप है जिसमें वह फिलिस्तीन के साथ द्वि-राष्ट्र समाधान को समर्थन देता रहा है। इस समाधान में स्वतंत्र इजरायल और स्वतंत्र फिलिस्तीन के सह-अस्तित्व की बात कही गई है।
किन देशों ने किया विरोध
प्रस्ताव का विरोध करने वाले देशों में अमेरिका और इजरायल के अलावा अर्जेंटीना, हंगरी, पापुआ न्यू गिनी और पराग्वे जैसे देश शामिल रहे। हालांकि यूरोप के कई प्रमुख देशों ने इस बार पलेस्टाइन को समर्थन दिया, जिससे वैश्विक स्तर पर इजरायल की नीति को लेकर असंतोष और आलोचना बढ़ती दिखाई दी।
क्या है प्रस्ताव का मुख्य उद्देश्य?
संयुक्त राष्ट्र महासभा में पारित इस प्रस्ताव में इजरायल और फिलिस्तीन के बीच द्वि-राष्ट्रीय समाधान पर बल दिया गया है। प्रस्ताव में गाजा पट्टी को हमास के नियंत्रण से मुक्त करने और क्षेत्र में स्थायी और शांतिपूर्ण समाधान की आवश्यकता को दोहराया गया है।
इजरायल-हमास युद्ध की पृष्ठभूमि
7 अक्टूबर 2022 को हमास ने इजरायल पर बड़ा हमला किया था, जिसमें 1200 लोगों की मौत हुई और करीब 250 लोगों को बंधक बना लिया गया। इसके जवाब में इजरायली सेना ने गाजा पट्टी पर भीषण हमला शुरू कर दिया, जिसमें अब तक 60,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे शामिल हैं।
गाजा में हालात इतने खराब हो चुके हैं कि भुखमरी, कुपोषण और मेडिकल सुविधा की भारी कमी के चलते हजारों लोग जान गंवा रहे हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, इजरायली सेना पर कई बार राहत सामग्री के लिए कतार में लगे आम नागरिकों पर गोलीबारी के आरोप भी लगे हैं।
2015 से अब तक क्या बदला?
2015 से लेकर 2023 तक, संयुक्त राष्ट्र में इजरायल के खिलाफ 150 से ज्यादा प्रस्ताव पारित हो चुके हैं। लेकिन इन प्रस्तावों का इजरायल की नीतियों पर कोई ठोस असर नहीं पड़ा है। गाजा को “नरक” में तब्दील कर देने के आरोपों के बीच अब यह नया प्रस्ताव वैश्विक समुदाय की ओर से एक मजबूत संकेत माना जा रहा है।
भारत का फिलिस्तीनको समर्थन देना, अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में एक संतुलित कदम है। जहां एक ओर भारत अमेरिका और इजरायल का रणनीतिक साझेदार है, वहीं दूसरी ओर वह मानवाधिकार और न्याय की वैश्विक आवाज को भी नजरअंदाज नहीं करता। यह प्रस्ताव इजरायल को कड़ा संदेश देने के साथ-साथ गाजा में शांति बहाली की दिशा में अंतरराष्ट्रीय समुदाय की गंभीरता को दर्शाता है।

