जर्जर स्थिति में पंचायत भवन, स्वच्छ भारत मिशन का मखौल… ऐसी बदहाल स्थिति में Malihabad के ग्राम पंचायत गदिया खेड़ा में ग्रामीण

Aanchal Singh
prime chaupal
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Prime Chaupal: भारत देश की आजादी में अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देने वालों की फेहरिस्त में पहले नंबर पर शुमार महात्मा गांधी जिन्हे पूरी दुनिया राष्ट्रपिता के नाम से संबोधित करती है।आजादी से पहले महात्मा गांधी ने गांवों को लेकर कहा था कि,असली भारत तो गांवों में ही बसता है गांव में लोगों के घर मिट्टी के बने होते हैं लेकिन उनके दिल सोने के होते हैं यहां भौतिक सुख-सुविधाओं की कमी होती है लेकिन खुली हवा में स्वच्छ ऑक्सीजन यहां के लोगों को शहरी दुनिया से अधिक स्वस्थ रखती है।केंद्र की नरेंद्र मोदी और प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार गांवों में विकास का जिम्मा अपने सिर उठाए है जिसकी खातिर सरकार की ओर से तमाम तरह की सरकारी योजनाओं को लागू किया गया है लेकिन आज भी भारत के तमाम ऐसे राज्य हैं जहां के गावों की ना तो तकदीर बदली और ना ही तस्वीर।

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“वोट नहीं तो कोई लाभ नहीं”

“वोट नहीं तो कोई लाभ नहीं”

आज हम बात करने जा रहे हैं उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से सटे मलिहाबाद के ग्राम पंचायत गदिया खेड़ा की जहां ग्रामीणों को ना तो पीएम आवास योजना का लाभ मिल रहा है और ना ही सीएम योजना का।ग्रामीणों का कहना है कि,प्रधान वोट नहीं मिलने के आधार पर विकास कार्यों की सौगात देते हैं जिस क्षेत्र में उनको वोट मिले वहां विकास होता जहां वोट नहीं वहां कोई लाभ नहीं।ग्रामीणों ने बताया उनको सरकारी आवास नहीं मिले हैं लोग मिट्टी के कच्चे घरों में रहने को मजबूर हैं क्योंकि प्रधान अपने खास लोगों को योजनाओं का लाभ दे रहे हैं जरुरतमंदों को नहीं।

कूड़े के ढेर से बजबजाती नालियों से स्थिति गंभीर

कूड़े के ढेर से बजबजाती नालियों से स्थिति गंभीर

ग्रामीणों को पेंशन स्कीम का लाभ नहीं मिल रहा है प्रधानमंत्री की सबसे महत्वाकांक्षी योजना स्वच्छ भारत मिशन की यहां जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही है।ऐसी ही एक तस्वीर हम आपको दिखाते हैं मलिहाबाद विकासखंड के जिंदौर ग्रामसभा की जहां प्रधान सुशील कुमार ने गांव में कोई विकास कार्य नहीं करवाया है।गांव में न नाली बनी है ना खड़ंजा और जो नालियां हैं वो भी कूड़े के ढेर और गंदगी से बजबजाती हुई जिसके कारण लोगों का जीना मुहाल हो गया है।

मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसते ग्रामीण

मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसते ग्रामीण

गांवों को लेकर मुख्य मुद्दा है कि,सरकार का विकसित भारत का प्रयास गांवों तक कितना पहुंच रहा है एक तरफ सरकार पंक्ति में खड़े आखिरी व्यक्ति तक सुविधाओं का लाभ पहुंचाने के लिए प्रतिबद्द है तो वहीं दूसरी तरफ गांवों का यह हाल जो आपने तस्वीरों में देखा।ग्राम सभा जिंदौर के प्रधान सुशील कुमार का कारनामा इतना गजब का है कि,गांव में विकास तो दूर की बात है गांव का पंचायत भवन भी टूटा है जिसको प्रधान ने अभी तक ठीक नहीं करवाया है।

पंचायत भवन बिल्कुल जर्जर हो चुका है और कभी भी यहां कोई अनहोनी हो सकती है गांव में आयुष्मान केंद्र की स्थिति बहुत खराब है जहां लोगों का इलाज होना चहिए था वहां अब कुत्ते लोटते नजर आते हैं।सरकार ने लोगों की सुविधा के लिए तमाम तरह की योजनाओं को तो लागू कर दिया लेकिन योजनाएं असल में लोगों तक पहुंच नहीं रही हैं मूलभूत सुविधाओं के लिए भी ग्रामीण आज जिम्मेदार की तरफ टकटकी लगाए देखते हैं।

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