Parivartini Ekadashi 2025: सनातन धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व होता है, लेकिन एकादशी व्रत को बेहद ही खास माना गया है। जो कि हर माह में दो बार पड़ता है। पंचांग के अनुसार अभी भाद्रपद माह चल रहा है और इस माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को परिवर्तिनी एकादशी का व्रत रखा जाता है।
इस एकादशी को पद्मा एकादशी, पार्श्व एकादशी और जयंती एकादशी जैसे नामों से भी जाना जाता है। इस साल परिवर्तिनी एकादशी का व्रत आज यानी 3 सितंबर दिन बुधवार को रखा जा रहा है। मान्यता है कि भादो माह की परिवर्तिनी एकादशी का व्रत पूजन करने से भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और कष्टों का निवारण हो जाता है, ऐसे में हम आपको एकादशी पूजा का शुभ मुहूर्त बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
Read more: Navratri 2025: 9 नहीं, पूरे 10 दिन की नवरात्रि का बना योग, जानें खास वजह…
परिवर्तनी एकादशी की तारीख और मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का आरंभ 3 सितंबर को सुबह 3 बजकर 53 मिनट पर हो रहा है और समापन भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि यानी 4 सितंबर को सुबह 4 बजकर 21 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में एकादशी व्रत 3 सितंबर यानी आज ही किया जा रहा है।
परिवर्तिनी एकादशी पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 35 मिनट से 9 बजकर 10 मिनट तक रहेगा। एकादशी व्रत का पारण 4 सितंबर को दोपहर 1 बजकर 36 मिनट से शाम 4 बजकर 7 मिनट पर हो जाएगा।
परिवर्तिनी एकादशी की पूजा विधि
आपको बता दें कि परिवर्तिनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें इसके बाद हाथ में जल और चावल लेकर व्रत का संकल्प करें। स्नान के बाद पूजा की तैयारी करें और शुभ मुहूर्त में पूजा आरंभ करें। आप एकादशी की पूजा घर पर ही कर सकते हैं, इसके लिए सबसे पहले पूजा स्थल की साफ सफाई करें इसके बाद पूजा स्थल पर गंगाजल का छिड़काव कर उसे पवित्र करें। फिर एक चौकी की स्थापना करें।
उस पर श्री हरि विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें और भगवान को तिलक लगाकर पुष्प माला अर्पित करें, फिर घी का दीपक जलाएं। इसके बाद भगवान को फल, पुष्प, तुलसी, भोग, नैवेद्य आदि अर्पित कर विधिवत पूजा करें। पूजा के दौरान ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नमो मंत्र का जाप करते रहें। सभी सामग्री भगवान पर अर्पित करें इसके बाद हाथ में पुष्प, अक्षत लेकर परिवर्तिनी एकादशी की व्रत कथा जरूर सुनें। पूजा के अंत में प्रभु की विधिवत आरती करें और दिनभर उपवास रखें या फलाहार ग्रहण करें अगले दिन अपने व्रत का पारण करें।

Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां पौराणिक कथाओं,धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। खबर में दी जानकारी पर विश्वास व्यक्ति की अपनी सूझ-बूझ और विवेक पर निर्भर करता है। प्राइम टीवी इंडिया इस पर दावा नहीं करता है ना ही किसी बात पर सत्यता का प्रमाण देता है।
