Parliament Winter Session: संसद के शीतकालीन सत्र में आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय गीत ‘वन्दे मातरम्’ की 150वीं वर्षगांठ पर होने वाली विशेष बहस की शुरुआत करेंगे। यह चर्चा लगभग 10 घंटे तक चलने की संभावना है। बहस का उद्देश्य राष्ट्रीय गीत के कम ज्ञात ऐतिहासिक पहलुओं पर प्रकाश डालना है, साथ ही यह दिखाना है कि कैसे यह साहित्यिक कृति स्वतंत्रता आंदोलन की प्रेरणा बनी। यह बहस वर्षभर चलने वाले राष्ट्रव्यापी समारोह का हिस्सा है, जिसका शुभारंभ प्रधानमंत्री ने पिछले महीने किया था। इस आयोजन का मुख्य फोकस युवाओं को गीत के सांस्कृतिक और राजनीतिक महत्व से अवगत कराना है।
Parliament Winter Session: Congress सांसद ने सरकार पर लगाया आरोप…नन्ही जानों को आने से पहले मारा गया
‘वन्दे मातरम्’ का ऐतिहासिक महत्व

‘वन्दे मातरम्’ बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा लिखा गया था और पहली बार 7 नवंबर 1875 को ‘बंगदर्शन’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ। इस गीत का गहरा राष्ट्रवादी इतिहास है। 1905 में बंगाल विभाजन विरोधी आंदोलन के दौरान इसे पहली बार राजनीतिक नारे के रूप में इस्तेमाल किया गया। इसके बाद यह स्वदेशी आंदोलन और स्वतंत्रता सेनानियों के लिए प्रेरणास्रोत बन गया। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद संविधान सभा ने 24 जनवरी 1950 को इसे राष्ट्रीय गीत के रूप में स्वीकार किया।
बहस में नेताओं की भागीदारी
लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में प्रमुख नेताओं की भागीदारी से यह बहस राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मानी जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी अपनी बात रखेंगे। कांग्रेस की ओर से गौरव गोगोई और प्रियंका गांधी वाड्रा सहित कम से कम आठ सांसद इस चर्चा में हिस्सा लेंगे। राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह मंगलवार को समानांतर बहस की शुरुआत करेंगे।
राजनीतिक विवाद और आलोचना
‘वन्दे मातरम्’ लंबे समय से राजनीतिक विवाद का केंद्र रहा है। हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस के 1937 के फैसले की आलोचना की थी, जिसमें गीत के केवल पहले दो छंदों को गाने का निर्णय लिया गया था। उनका आरोप था कि इस फैसले ने ‘विभाजन के बीज बोए’।
कांग्रेस नेताओं ने इस पर तीखा पलटवार किया। जयराम रमेश ने कहा कि यह निर्णय उस कार्य समिति द्वारा लिया गया था जिसमें महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल और सुभाष चंद्र बोस जैसे दिग्गज शामिल थे। उनका दावा था कि यह व्याख्या गीत को समावेशी बनाए रखने के लिए की गई थी, क्योंकि बाद के छंदों में हिंदू देवी-देवताओं का उल्लेख है।
संसद सत्र का अन्य एजेंडा
1 दिसंबर से शुरू हुआ शीतकालीन सत्र पहले ही चुनावी रोल संशोधन को लेकर विपक्षी दलों की मांगों के कारण बाधित रहा है। विपक्ष इस मुद्दे पर अलग से बहस की मांग कर रहा है। इसके अलावा, संसद इस सप्ताह बाद दोनों सदनों में चुनावी सुधारों पर भी चर्चा करेगी।
