Patna News: पटना के शास्त्रीनगर थाना क्षेत्र स्थित राजाबाजार में लोग सुविधाजनक इलाज के लिए भरोसा करते हैं, लेकिन मंगलवार की दोपहर पारस हॉस्पिटल के अंदर अपराधियों की घुसपैठ ने पूरे अस्पताल को दहला दिया। अस्पताल परिसर में अचानक गोलियों की तड़तड़ाहट गूंज उठी और अफरातफरी मची जब कुछ बदमाश अस्पताल में घुस आए। उन्होंने बक्सर निवासी मरीज चंदन कुमार उर्फ चंदन मिश्रा को निशाना बनाया और उसपर तीन-चार गोलियां दाग दीं।
गोलियों की आवाज सुनते ही अस्पताल में हड़कंप मच गया, चिकित्सक, नर्स, कर्मचारी और अन्य मरीज दहशत में आ गए। अस्पताल के अंदर ऐसे शोर मच गया कि सुरक्षा की दृष्टि से नियुक्त निजी गार्ड भी असहाय नजर आए। घायल चंदन को फौरन नजदीकी आईसीयू में शिफ्ट किया गया, जहां उसकी हालत को गंभीर बताया जा रहा है।
पुलिस टीम औचक पहुंची, छानबीन शुरू
घटना की जानकारी मिलते ही शास्त्रीनगर और राजीव नगर थाने की पुलिस घटनास्थल पर पहुंची और पूरे अस्पताल को निकलने-घुसने वालों के लिए सील कर दिया। पुलिस अधिकारियों ने अस्पताल परिसर में मौजूद सीसीटीवी फुटेज जब्त कर ली हैं और आरोपियों की पहचान व गिरफ्तारी के लिए अभियान शुरू कर दिया है।एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि चंदन परिसर में इलाज करा रहा था और उसी समय इस वारदात का शिकार हुआ। पुलिस को शुरुआती जानकारी मिली है कि अपराधी पूर्व से घटना को अंजाम देने की नियत से अस्पताल पहुंचे थे और गोली चलाने के बाद घटनास्थल से फरार हो गए।
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बेउर जेल से पैरोल पर बाहरी दुनिया में लौटे चंदन
गिरफ़्तार मरीज की पहचान चंदन कुमार मलिक के रूप में की गई है, जो पहले सेक्सुअल अपराध के आरोप में पटना की बेउर जेल में बंद था। इलाज के लिए पैरोल पर छूटने के बाद चंदन इलाज कराने पारस हॉस्पिटल आए थे। चंदन पर पहले भी जेल में रहते हुए जेल में विवादखडे़ करने के आरोप लगे थे। पैरोल अवधि के दौरान उन्हें अस्पताल में इलाज के लिए लाया गया था।पुलिस इस घटना की जांच करती दिख रही है, साथ ही यह पता लगाने में भी जुटी है कि क्या किसी पुरानी रंजिश अथवा अपराध गिरोह से यह हमला जुड़ा है।
अस्पतालों की सुरक्षा पर सवाल
यह कोई पहला ऐसा मामला नहीं है जब अस्पताल में अपराध घटा हो। पिछले कुछ समय में पटना के अन्य निजी अस्पतालों में भी ऐसी घटनाएं सामने आ चुकी हैं। कुछ माह पहले एक निजी अस्पताल में संचालिका की अस्पताल में घुसकर गोली मारकर हत्या भी कर दी गई थी। इन घटनाओं ने अस्पतालों की सुरक्षा व्यवस्था की भेंट उड़ाई है और सवाल उठे हैं कि आखिर सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों की सुरक्षा तंत्र कितनी सक्षम है।