Patna Protests: पटना की सड़कों पर सोमवार को अभ्यर्थियों का जोरदार प्रदर्शन देखने को मिला। बड़ी संख्या में युवा दरोगा भर्ती परीक्षा को लेकर हाथों में तिरंगा लेकर सड़क पर उतरे। प्रदर्शनकारी मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने निकले, लेकिन डाकबंगला चौराहे पर बैरिकेडिंग के कारण उन्हें रोक दिया गया।
पुलिस ने की लाठीचार्ज
बताते चले कि, हजारों की संख्या में अभ्यर्थी पटना कॉलेज से मार्च करते हुए बैरिकेडिंग तोड़कर आगे बढ़ रहे थे। इसी दौरान कोतवाली के पास पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए लाठीचार्ज किया। इससे अफरातफरी का माहौल बन गया और कई लोग घायल भी हुए।
अभ्यर्थियों की मांगें और शिकायतें
अभ्यर्थियों का कहना है कि पिछले दो साल से बिहार पुलिस में कोई नई वैकेंसी नहीं निकली है। वे चाहते हैं कि दारोगा भर्ती प्रक्रिया जल्द शुरू की जाए। इसके साथ ही उन्होंने आशंका जताई कि आने वाले दिनों में आचार संहिता लागू हो सकती है, जिससे भर्ती की घोषणा और देर हो सकती है।
प्रश्नपत्र और आंसर-की की उपलब्धता पर उठाए सवाल
प्रदर्शनकारियों ने भर्ती परीक्षा के बाद प्रश्नपत्र, ओएमआर शीट की कार्बन कॉपी और आंसर-की की उपलब्धता पर भी सवाल उठाए। उनका कहना है कि यह बेरोजगार अभ्यर्थियों के साथ अन्याय है और परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने की आवश्यकता है।
छात्रों के साथ शिक्षक और नेता भी शामिल
इस आंदोलन में केवल छात्र ही नहीं, बल्कि कई शिक्षक और शिक्षक नेता भी शामिल हुए। उनका समर्थन प्रदर्शनकारियों की आवाज को और बुलंद कर रहा है। इससे यह आंदोलन और व्यापक और प्रभावशाली बन गया है।
सरकार से तुरंत कार्रवाई की मांग
अभ्यर्थियों का स्पष्ट कहना है कि वे कई दिनों से दरोगा भर्ती की वैकेंसी की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि भर्ती की घोषणा जल्द नहीं की गई, तो आंदोलन और उग्र रूप ले सकता है।
आंदोलन की संभावित प्रभाव
इस प्रदर्शन ने यह संदेश दिया है कि युवाओं में सरकारी भर्ती प्रक्रियाओं के प्रति नाराजगी बढ़ रही है। अभ्यर्थियों ने सरकार पर दबाव बनाने के लिए मार्च और प्रदर्शन का तरीका अपनाया है। इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य बिहार पुलिस में दरोगा भर्ती प्रक्रिया को जल्द शुरू कराना है।
इस प्रकार, पटना में दरोगा भर्ती को लेकर अभ्यर्थियों का प्रदर्शन न केवल जोरदार और विशाल था, बल्कि इसमें छात्रों के साथ शिक्षक और नेताओं का समर्थन भी शामिल था। पुलिस की कार्रवाई और लाठीचार्ज के बावजूद युवाओं ने अपनी मांगों को लेकर आवाज बुलंद की है और सरकार से जल्द कार्रवाई की अपेक्षा जताई है।

