Cameroon Election: दुनिया के सबसे उम्रदराज राष्ट्र प्रमुख पॉल बिया (Paul Biya) ने एक बार फिर कैमरून के राष्ट्रपति चुनाव में जीत दर्ज की है। 92 वर्षीय बिया को अब उनका आठवां कार्यकाल मिलने जा रहा है। इसका मतलब है कि अगर वे अपना कार्यकाल पूरा करते हैं, तो वे लगभग 100 वर्ष की उम्र तक कैमरून के राष्ट्रपति बने रहेंगे यानी दुनिया के सबसे बुजुर्ग सत्ताधारी नेता।
43 साल से सत्ता पर ‘कब्जा’
पॉल बिया ने 1982 में राष्ट्रपति पद संभाला था, और तब से अब तक लगातार 43 वर्षों से सत्ता पर काबिज हैं। उन्होंने देश के इतिहास में एक ऐसा अध्याय लिखा है, जिसमें लोकतंत्र की जगह उनकी मजबूत पकड़ और निरंतर शासन की चर्चा होती है। 2008 में, उन्होंने संविधान में संशोधन कर राष्ट्रपति कार्यकाल की सीमा समाप्त कर दी, जिससे अब वे अनिश्चितकाल तक चुनाव लड़ सकते हैं।
चुनाव में भारी जीत, विपक्ष ने लगाए धांधली के आरोप
ब्रिटिश अखबार द गार्डियन के मुताबिक, देश की संवैधानिक परिषद ने ऐलान किया कि पॉल बिया को 53.66% वोट मिले, जबकि उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी और पूर्व सहयोगी तचिरोमा बेकरी (Tchiroma Bakary) को 35.19% वोट प्राप्त हुए।हालांकि, विपक्ष ने चुनाव परिणाम को “दिखावा” बताया है। तचिरोमा ने न्यूज़ एजेंसी एएफपी से कहा, “यह कोई चुनाव नहीं था, बल्कि एक नाटक था। असली जीत हमारी हुई है।”विपक्ष ने दावा किया कि 12 अक्टूबर को हुए चुनाव के दो दिन बाद ही उनकी टीम ने 54.8% वोटों के साथ जीत हासिल की थी। उनके अनुसार, यह आंकड़ा 80% मतदाताओं के वास्तविक वोटों पर आधारित था। मगर जब आधिकारिक नतीजे आए, तो तस्वीर बिल्कुल अलग निकली।
कैमरून की सियासत और बिया की लोहे जैसी पकड़
कैमरून ने 1960 में फ्रांस से आजादी पाई थी। तब से अब तक इस देश को केवल दो राष्ट्रपति ही मिले हैं पहले अहमदू अहिदजो और अब पॉल बिया।बिया ने सत्ता में बने रहने के लिए राजनीतिक विरोधियों को दबाया, सशस्त्र विद्रोहों को कुचला, और मीडिया व नागरिक आंदोलनों पर कड़ा नियंत्रण रखा।उनके शासनकाल में देश सामाजिक असमानता, आर्थिक चुनौतियों और अलगाववादी हिंसा से जूझता रहा है, लेकिन इसके बावजूद बिया की सत्ता पर पकड़ ढीली नहीं हुई।
क्या 100 की उम्र तक भी शासन करेंगे बिया?
अब सवाल यह है कि क्या पॉल बिया अपने आठवें कार्यकाल को पूरा कर पाएंगे। अगर ऐसा हुआ, तो वे शतायु राष्ट्रपति बन जाएंगे एक ऐसी मिसाल जो आधुनिक राजनीति के इतिहास में बेहद दुर्लभ है।आलोचकों का कहना है कि बिया का शासन लोकतंत्र से अधिक तानाशाही जैसा है, लेकिन उनके समर्थक उन्हें स्थिरता का प्रतीक मानते हैं। कैमरून की जनता के लिए यह चुनाव एक बार फिर पुरानी राह पर लौटने जैसा है जहां सत्ता बदलती नहीं, सिर्फ कार्यकाल बढ़ता जाता है।
