Petrol-Diesel Price: हाल ही में भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। यह बदलाव मुख्य रूप से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों, घरेलू कर संरचनाओं और मुद्रा विनिमय दरों के कारण हो रहा है। भारत के कई बड़े शहरों में पेट्रोल की कीमत हर रोज़ बदलती है, और यही हाल नोएडा में भी है। नोएडा में पेट्रोल की कीमतें प्रत्येक दिन सुबह 6 बजे अपडेट होती हैं, जो कि ऑयल मार्केटिंग कंपनियों (OMCs) द्वारा जारी की जाती हैं। इन कंपनियों में प्रमुख नाम हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (HPCL), इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOCL) और भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (BPCL) शामिल हैं।
वैश्विक कीमतों के उतार-चढ़ाव पर असर
कच्चे तेल की वैश्विक कीमतों में उतार-चढ़ाव का सीधा असर भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर पड़ता है। जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत बढ़ती है, तो भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें भी बढ़ जाती हैं, क्योंकि भारत अपनी आवश्यकताओं का अधिकांश कच्चा तेल आयात करता है। इसके अलावा, रुपये के मुकाबले डॉलर की विनिमय दर में बदलाव भी पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर प्रभाव डालता है। अगर डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होता है, तो आयातित तेल की कीमत बढ़ जाती है, और इसका सीधा असर पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर पड़ता है।
पेट्रोल और डीजल के ताजे दामों का ऐलान
भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बदलाव की जानकारी रोजाना ऑयल मार्केटिंग कंपनियां देती हैं। ये कंपनियां हर सुबह 6 बजे पेट्रोल और डीजल के ताजे दामों का ऐलान करती हैं, जो कि स्थानीय करों और अन्य कारकों के आधार पर बदल सकते हैं। इन कीमतों में अंतर राज्यीय स्तर पर भी भिन्नता हो सकती है, क्योंकि प्रत्येक राज्य की अपनी कर संरचना होती है। जैसे नोएडा में, उत्तर प्रदेश राज्य के तहत पेट्रोल और डीजल के दाम दिल्ली से अलग हो सकते हैं।
इसके अलावा, सरकार द्वारा पेट्रोल और डीजल पर लगाई जाने वाली उत्पाद शुल्क और राज्य सरकारों द्वारा लगाए जाने वाले वैट भी इन कीमतों को प्रभावित करते हैं। इसी वजह से, हर राज्य में पेट्रोल और डीजल की कीमतें अलग-अलग होती हैं। उदाहरण के लिए, अगर दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 100 रुपये प्रति लीटर है, तो वही पेट्रोल नोएडा में कुछ रुपये अधिक या कम हो सकता है।
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अंतरराष्ट्रीय बाजार की स्थिरता
आपको बता दे…सरकार और ऑयल कंपनियां पेट्रोल और डीजल की कीमतों में स्थिरता बनाए रखने के लिए विभिन्न उपायों पर विचार करती हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार के उतार-चढ़ाव को पूरी तरह से नियंत्रित करना संभव नहीं होता। ऐसे में, उपभोक्ताओं को इन कीमतों में हो रहे बदलावों को समझने और अनुकूलित करने की आवश्यकता होती है।

