चंडीगढ़
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 14 मई 2023 को युवती के पिता ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई थी कि 12 मई को उसकी 15 वर्षीय बेटी बिना बताए घर से निकल गई और आरोपी उसे विवाह का झांसा देकर भगा ले गया। पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपी के खिलाफ IPC की धारा 363 (अपहरण), 376(2)(n) (बार-बार बलात्कार) और पॉक्सो एक्ट की धारा 4 व 6 के तहत आरोपपत्र दायर किया। ओसिफिकेशन टेस्ट में युवती की हड्डी की उम्र 15-16 वर्ष और दंत आयु 14-16 वर्ष बताई गई थी।
अदालत का फैसला
फैसले में अदालत ने कहा कि मेडिकल अनुमान वाली उम्र में दो वर्ष की त्रुटि-सीमा लागू करने पर युवती की आयु उसकी मेडिकल परीक्षा के समय 18 वर्ष से अधिक बैठती है। इसलिए 12 मई 2023 को घटना की तिथि मानने पर भी युवती की आयु 18 वर्ष से अधिक मानी जा सकती है। अदालत ने यह भी उल्लेख किया कि अभियोजन पक्ष कोई भी दस्तावेज- जैसे स्कूल रिकॉर्ड या नगर निगम का जन्म प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं कर पाया जिससे साबित हो सके कि घटना के समय युवती नाबालिग थी।
तस्वीरों और आचरण पर अदालत की टिप्पणी
जज ने विवाह और रिसेप्शन की तस्वीरों का हवाला देते हुए कहा कि युवती 'बहुत खुश दिख रही है' और उसका घर आरोपी के घर से मात्र 5-6 मकान की दूरी पर था, इसलिए यदि वह अपनी इच्छा के विरुद्ध वहां गई होती तो आसान तरीके से घर लौट सकती थी। अदालत ने कहा- युवती वयस्क प्रतीत होती है। यदि उसके साथ जबरन यौन संबंध बनाए गए होते, तो वह शोर मचा सकती थी, पर उसने ऐसा नहीं किया, जिससे स्पष्ट होता है कि यदि कोई संबंध बने भी हों तो वे उसकी सहमति से बने।
बयानों में विरोधाभास
अदालत ने माना कि युवती और उसके पिता के बयान विभिन्न मंचों पर एक-दूसरे से मेल नहीं खाते, जिससे अभियोजन की कहानी पर संदेह पैदा होता है। न्यायालय ने कहा कि यह भी संभव है कि युवती स्वयं आरोपी के साथ चली गई हो और बाद में कहानी को प्रलोभन देकर ले जाने के रूप में प्रस्तुत किया गया हो। अदालत ने कहा कि गिरफ्तारी और मुकदमे में लगाए गए आरोप संदेह से परे साबित नहीं हुए। इसलिए आरोपी को सभी आरोपों से बरी किया गया। फैसले में यह भी दोहराया गया कि जब तक अभियोजन पक्ष किसी व्यक्ति की नाबालिग उम्र को ठोस दस्तावेजों से सिद्ध न कर दे, सहमति आधारित संबंध पर पॉक्सो एक्ट लागू नहीं किया जा सकता।
